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ओसामा का स्टेच्यू (व्यंग्य)

satire osama statue

रक्षा मंत्री एंटनी साहब कह रहे हैं कि पड़ोसी मुल्क बदला नहीं जा सकता। मार्के की बात कह रहे हैं जनाब। ये बात हमें मालूम ही नहीं थी। कई लोगों को लगता था कि पड़ोसी मुल्क भी बदला जा सकता है। अब पड़ोसी बदला नहीं जा सकता तो उसकी खराब हालत सुधारने की ज़िम्मेदारी किसकी है? पड़ोसियों की न ! पीडब्लूडी का ठेका अपन को भले कभी न मिला हो पर इसकी कोशिश करने की एक्सपर्टीज है। इसी विशेषज्ञता के चलते खाकसार ने जिम्मेदारी का यह ठेका उठा लिया है। बंदे को लगता था कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की विकास दर पाताल में घुसी होगी लेकिन अभी-अभी पता चला कि यह दो फीसदी के आसपास है। उम्मीद पर दुनिया कायम है और यहां तो दो फीसदी उम्मीद का हिमालय खड़ा है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए खाससार के पास धांसू सुझावों की लिस्ट हैं। लेकिन, पाक जम्हूरियत के मदारी जरदारी बंदे के एक-दो आइडिया भी ले लें तो समस्या का द एंड हो लेगा। अर्थव्यवस्था का संकट कुछ इसी अंदाज में खत्म हो लेगा जैसे ओसामा बिन लादेन। कान के नीचे से अमेरिका ने बजा दिया ओसामा का बाजा और पाकिस्तानी हुक्मरानों को पता नहीं चला। उसी तरह अर्थव्यवस्था की डूबती नैया अपने आइडिया के लाइफ जैकेट के सहारे कब तर जाएगी, उन्हें नहीं पता लगेगा।

तो आइडिया यह कि एबटाबाद में स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी की तर्ज पर स्टेच्यू ऑफ ओसामा लगाया जाए। उसी जगह जहां ओसामा साहब दुनिया को झटके में नमस्ते कह गए। इस स्टेच्यू के हाथ में मशाल की जगह एके-47 हो। इस अद्भुत कलाकृति के दो चेहरे बनाए जाएं। एक पाकिस्तान की अवाम के लिए और दूसरी कथित इंटरनेशनल कम्यूनिटी के लिए। पूरे इलाके को एक्सप्रेशन फ्री जोन का दर्जा दिया जाए। पड़ोसी मुल्क में जिस तरह आईपीएल नहीं है, उसी तरह एक्सप्रेशन फ्री जोन नहीं है। पाकिस्तान की भोली-भाली अवाम अकसर भावाना के समुन्दर में बहकर इस जोन की मांग करती रहती है। अब पूरे मुल्क में इस तरह के फ्री जोन बनाना कोई अक्लमंदी नहीं है, अलबत्ता ओसामा के स्टेच्यू वाले इलाके में इस जोन को बनाकर एक क्रांतिकारी संदेश दिया जा सकता है।

इस इलाके में स्टेच्यू को देखकर लोगों के मन में जो भाव आए, उसे व्यक्त करने की छूट होगी। तो साहब, इससे होगा यह कि ओसामा साहब के स्टेच्यू के एक तरफ रोज़ाना करोड़ों का चंदा चढ़ेगा। ओसामा के कबायली भक्त एके-47, बम, तोप वगैरह भी श्रद्धा में अर्पण कर सकते हैं। अरब देशों से आए हज़ारों मीट्रिक टन तेल से ओसामा के स्टेच्यू को रोज नहलाया जाएगा। हिन्दुस्तानी फैन कश्मीर के सेब भेज सकते हैं। यानी एक झटके में पड़ोसी मुल्क सेब,तेल,असलहा का निर्यातक बन जाएगा। अरबों-खरबों का चंदा तो खैर कैश में आएगा ही। इंटरनेशनल कम्यूनिटी के लिए भी ओसामा की मूर्ति आकर्षण का केंद्र होगी। इससे टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से ज्यादा ऊंचा स्टेच्यू लगाने की इच्छा वाला ओसामा साहब का एक फर्जी वीडियो अगर जारी किया जा सके तो फिर कहना ही क्या। यकीं जानिए स्टेच्यू ऑफ ओसामा ताजमहल से भी ज्यादा टूरिस्ट खींचेगा।

स्टेच्यू पर इंटरनेशनल कम्यूनिटी की तरफ से चप्पल-जूतों की बौछार की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। गुस्से वाले अमेरिकी-ब्रिटिश-फ्रांसिसी लोग डॉलर-पाउंड और यूरो वाली कीमती चीजों से भी ओसामा को ठोंकने का अपना अरमान पूरा करेंगे। इस तरह से पाकिस्तान में चप्पल-जूतों का उद्योग नए सिरे से परवान चढ़ सकता है। ओसामा के स्टेच्यू से इकट्ठा कीमती सामान चीन को निर्यात किया जा सकता है। खाकसार के पास इस आइडिये की पूरी योजना तैयार है। आखिर पड़ोसी मुल्क के बदहाली की चिंता पड़ोसी को नहीं होगी तो किसे होगी ! कोई है इस योजना को जरदारी तक पहुंचाने वाला?

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