7 जून 2012
नई दिल्ली। उन लोगों के लिए आयकर रिटर्न भरना इस साल से ज्यादा जटिल हो गया है, जिनके विदेश में बैंक खाते या संपत्ति है। सरकार ने भारत के नागरिकों एवं सभी अनिवासियों के लिए अपनी विदेशी संपत्ति का खुलासा करना अनिवार्य कर दिया है। इस नए प्रावधान से करदाता नाराज हैं।
डेलोइट हास्किन्स एंड सेल्स के पार्टनर नीरू आहूजा कहते हैं, "विदेशी संपत्तियों पर कर तो नहीं लगेगा, पर करदाताओं के लिए इसे एक अतिरिक्त बोझ और जटिल कवायद जरूर बना दिया गया है। यह अव्यवहारिक कदम है।"
आहूजा का मानना है कि इससे न सिर्फ आयकर रिटर्न भरना ज्यादा जटिल हो गया है, बल्कि यह अनिवासी भारतीयों की निजता में भी खलल है। उन्होंने बातचीत करते हुए कहा, "कई लोगों ने इसके बारे में शिकायत की है। यहां तक कि संक्षिप्त अवधि के लिए यहां काम करने आने वाले अनिवासियों के लिए भी विदेशी संपत्ति का ब्यौरा देना अनिवार्य कर दिया गया है। यह उनकी निजता का अनादर है।"
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने हाल ही में कर वर्ष 2011-12 यानि आकलन वर्ष 2012-13 के लिए नया टैक्स रिटर्न फार्म अधिसूचित किया है, जिसमें विदेशी संपत्ति का विवरण देना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए टैक्स रिटर्न फार्म आईटीआर 2/3 में 'एफए' (फारेन एसेट्स) नामक एक नया खंड जोड़ा गया है।
अधिसूचना के अनुसार ऐसे व्यक्ति जिनकी कर योग्य संपत्ति 10 लाख रुपये (करीब 20,000 डालर) से अधिक है और ऐसे नागरिक एवं अनिवासी जो विदेशी संपत्ति या बैंक खाते से लैस हैं, उन्हें संपत्ति का विवरण देना होगा।
भारत में कार्यरत विदेशी व्यक्ति की पत्नी या विदेशी महिला के पति के लिए भी संपत्ति का खुलासा करना अनिवार्य बनाया गया है। भारत लौटने वाले अनिवासी भारतीय (एनआरआई) भी इसके दायरे में आते हैं।
सरकार ने काले धन का पता लगाने के इरादे से यह प्रावधान किया है। काला धन देश की राजनीति एवं अर्थतंत्र के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
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