1 मई 2012
नई दिल्ली। वायु सेना में पायलटों की मौजूदा क्षमता उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त है। अभी पायलटों की संख्या पहली अप्रैल 2012 तक 3406 है जबकि स्वीकृत क्षमता 3783 की है, इस तरह 377 की कमी है। पायलटों की प्रशिक्षण सुविधाएं हैदराबाद और येलाहंका में उपलब्ध हैं। वायुसेना में हर साल 180 से 200 पायलट शामिल किए जाते हैं।
पायलटों के काम और प्रशक्षिण सुविधाओं में सुधार एक सतत प्रक्रिया है। इसके लिए सरकार द्वारा कई उपाय किये गए हैं। फ्लाइंग ब्रांच के शार्ट सर्विस कमीशन में संशोधन किया गया है ताकि इसमें योग्य पुरुषों को शामिल किया जाए।
केंद्रीय छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से भी युवाओं को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा देश भर में लक्षित समूह तक पहुंचने के लिए सक्रिय जन अभियान के जरिए सम्मिलित प्रयास किए गए हैं, जिनमें (1) आमने सामने बातचीत का मौका उपलब्ध कराने के लिए करियर मेला और प्र्दशनी का आयोजन (2) प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में विज्ञापन सहित भर्ती तथा करियर संबंधी लेख (3) स्कूल और कालेजों में प्रेरित करने वाले व्याख्यान (4) लक्षित समूह के बीच प्रचार सामग्री वितरित करना (5) देश भर में अहम स्थानों पर दृश्यों व सूचना संकेतकों का लगाना शामिल है।
पायलटों के प्रशिक्षण ढांचे को सिम्यलेटर और एडवांस जेट ट्रेनर से संवर्धित किया गया है। जुलाई 2011 से लड़ाकू पायलटों के तीसरे चरण का समूचा प्रशिक्षण एडवांस जेट ट्रेनर पर आरंभ किया गया है।
यह सूचना रक्षामंत्री एके एंटनी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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