17 अप्रैल 2011
कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए फिर से चुनाव लड़ रहे विधायकों की सम्पत्ति में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। एक विधायक की सम्पत्ति में तो आश्चर्यजनक रूप से 86,030 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह स्थिति एक अध्ययन में सामने आई है।
वेस्ट बंगाल इलेक्शन वॉच (डब्ल्यूबीईडब्ल्यू) के समन्वयक बिप्लब हलीम ने कहा, "विधायकों द्वारा 2006 के चुनाव के दौरान घोषित सम्पत्ति व हाल में प्रथम एवं द्वितीय चरण के मतदान के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान उनके द्वारा घोषित सम्पत्ति का व्यापक अध्ययन करने से पता चला है कि ज्यादातर विधायकों की सम्पत्ति में 100 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है।"
प्रथम चरण में 23 विधायक मैदान में हैं। 2006 में उनकी औसत सम्पत्ति लगभग 21 लाख रुपये थीं, जबकि 2011 में उनकी सम्पत्ति बढ़ कर 34 लाख रुपये हो गई हैं।
दूसरे चरण में 28 विधायक फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। इन विधायकों की 2006 में औसत सम्पत्ति लगभग 13.7 लाख रुपये थी। अब इनकी सम्पत्ति बढ़ कर 30.1 लाख रुपये हो गई है।
अध्ययन के अनुसार प्रथम चरण में जोरआजमाइश कर रहे विधायकों में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के दशरथ टिर्की की सम्पत्ति वृद्धि दर सबसे अधिक है।
टिर्की के पास 2006 में 115,654 रुपये कीमत की सम्पत्ति थी। इस बार उनके पास 1,066,293 रुपये की सम्पत्ति है, यानी 822 प्रतिशत की वृद्धि। टिर्की के बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की मफूजा खातून हैं, उनकी सम्पत्ति वृद्धि दर 605 प्रतिशत है। उसके बाद फारवर्ड ब्लॉक के अक्षय ठाकुर की सम्पत्ति वृद्धि दर 560 प्रतिशत तथा आरएसपी के बिश्वनाथ चौधरी का 309 प्रतिशत है।
दूसरे चरण में जोरआजमाइश कर रहे 28 विधायकों की औसत घोषित सम्पत्ति 3,002,183 रुपये है। 2006 में इनकी औसत सम्पत्ति 13,66,791 रुपये थी। यानी 120 प्रतिशत की वृद्धि।
हलीम ने कहा, "सम्पत्ति वृद्धि की सबसे अधिक दर फारवर्ड ब्लॉक के बिवस चक्रवर्ती द्वारा दर्ज की गई है। उनकी सम्पत्ति में 86,030 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उसके बाद तृणमूल कांग्रेस के कल्लोल खान हैं, जिनकी सम्पत्ति वृद्धि दर 6,448 प्रतिशत है और उसके बाद माकपा के सुबनोय घोष की सम्पत्ति वृद्धि दर 2,923 प्रतिशत है।"
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