30 जून 2011
नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के खिलाफ 'प्रभावी तथा व्यापक' लोकपाल विधेयक के पक्ष में हैं। लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह इसके दायरे में प्रधानमंत्री को लाने के समर्थक हैं या नहीं।
ये बातें उन्होंने गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और उनकी टीम से मुलाकात के बाद कही। अन्ना हजारे और उनकी टीम के सदस्य लोकपाल पर अपने मसौदे के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मिल रहे हैं। इसी सिलसिले में गुरुवार को उन्होंने यहां बिहार भवन में मुख्यमंत्री से मुलाकात की।
अन्ना हजारे से मुलाकात के बाद नीतीश ने कहा, "भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल का दायरा व्यापक और प्रभावी होना चाहिए।" लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या वह इसके दायरे में प्रधानमंत्री को शामिल करने के पक्ष में हैं तो उन्होंने कहा, "इस बारे में मुझे अपनी पार्टी के भीतर और सहयोगी दलों से बात करनी होगी। मैं फिलहाल कुछ ज्यादा नहीं कह सकता।"
लोकपाल मसौदा समिति द्वारा मंत्रिमंडल के समक्ष लोकपाल विधेयक के दो प्रारूप भेजने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, "सरकार क्या चाहती है, यह ही स्पष्ट नहीं है। पहले सरकार अपनी राय प्रकट करे। फिर हम विभिन्न बिंदुओं पर अपनी राय देंगे।"
वहीं, अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ नीतीश सरकार की ओर से उठाए गए विभिन्न कदमों की सराहना की और कहा कि केंद्र सरकार को इससे सीख लेनी चाहिए।
अन्ना हजारे की टीम के सदस्य अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी ने कहा कि नीतीश ने बिहार में उनके मसौदे की तर्ज पर लोकायुक्त की स्थापना का आश्वासन दिया है, जो प्रशंसनीय है। इस तरह की पहल करने वाला बिहार पहला राज्य है।
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