7 सितम्बर 2011
नई दिल्ली। दिल्ली के शेरशाह मार्ग पर स्थित दिल्ली उच्च न्यायालय के गेट नम्बर पांच के बाहर बुधवार सुबह हुए विस्फोट में कम से कम 11 लोगों के मरने की खबर है। इस हादसे में 76 घायल हुए हैं। बम ब्रीफकेस में छुपाकर रखा गया था। वर्ष 2008 के मुम्बई बम हमले के बाद विस्फोट की यह तीसरी प्रमुख घटना है। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, लोकसभाध्यक्ष ने इस विस्फोट की निंदा की है जबकि विपक्ष ने इसे सुरक्षा में चूक बताया है।
केंद्रीय गृह सचिव आर.के. सिंह ने बताया कि यह विस्फोट उच्च न्यायालय परिसर के गेट नम्बर पांच के बाहर सुबह करीब 10.30 बजे हुआ। उस समय वहां काफी भीड़भाड़ थी और न्यायालय परिसर में दाखिल होने की प्रतीक्षा कर रहे लोगों की लम्बी कतार लगी हुई थी।
सिंह ने संवाददाताओं को बताया, "बम ब्रीफकेस में रखा गया था। हमें ब्रीफकेस के टुकड़े मिले हैं। सभी घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया गया है।" सिंह ने बताया कि जांच दल मौके पर पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय जांच एजेंसी की टीम पहुंच चुकी है। फोरेंसिक प्रयोगशालाओं के लोग मौके पर पहुंच चुके हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की टीम सबूत जुटाने के लिए घटनास्थल पर मौजूद है।"
विशेष पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) धर्मेद्र कुमार ने संवाददाताओं को बताया, "हमने पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी है और लोगों से उस जगह इकट्ठा नहीं होने को कहा है।" प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि घायलों की संख्या 50 से 60 के करीब हो सकती है। भगवान दास नाम के एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, "विस्फोट में कई लोग बुरी तरह जख्मी हुए हैं।"
दिल्ली उच्च न्यायालय में चार महीनों के भीतर विस्फोट की यह दूसरी घटना है। गत 25 मई को यहां एक कम तीव्रता वाला बम विस्फोट हुआ था लेकिन इसमें कोई नुकसान नहीं हुआ था। उस बम को एक प्लास्टिक के पैकेट में छुपाकर रखा गया था।
नवम्बर 2008 के मुम्बई हमलों के बाद बम विस्फोट की तीसरी घटना है।
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