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दिमाग घर पर रखें और ‘थैंकयू’ का मज़ा लें : दर्शक समीक्षा

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‘नो एंट्री’ और ‘वेलकम’ जैसी कॉमेडी फिल्मों के निर्देशक अनीस बज़्मी पुराने रंग में भले न दिखे हों, लेकिन दर्शकों को गुदगुदाने की कोशिश में ‘थैंकयू’ सफल रही है। निश्चित रुप से कहानी और स्क्रिप्ट को लेकर गंभीर रहने वाले लोग इस फिल्म की कड़ी आलोचना कर सकते हैं,क्योंकि अनीस इस मामले में पिछड़ गए हैं। लेकिन, नए संवाद और कुछ मौकों पर रचे ठोस पंच दर्शकों को हंसाते और गुदगुदाते हैं। हां, फिल्म में बेवजह जगह जगह ठूंसे गए गाने परेशान करते हैं, लेकिन कॉमेडी फिल्मों के भूखे दर्शकों को ‘थैंकयू’ पसंद आ सकती है।

फिल्म की कहानी बहुत सामान्य है। हां, ये बताना जरुरी है कि फिल्म की कहानी पांच लेखकों ने लिखी है। तो कहानी यह है कि तीन लड़कियों को अपने पति पर शक है, लिहाजा वो एक डिटेक्टिव की सेवाएं लेती हैं। यह जासूस इन तीन में से एक लड़की के पति का स्टिंग ऑपरेशन कर चुका है, और उसी के कहने पर बाकी दो भी इस जासूस की मदद लेती है। जासूस यानी अक्षय कुमार सबसे पहले बॉबी देओल के पीछे लग जाता है। लेकिन, बॉबी अपने बॉस इरफान खान की मदद से हर बार ऐसा बहाना तैयार करता है कि पत्नी संजना यानी सोनम कपूर का विश्वास उस पर बढ़ जाता है। लेकिन अक्षय कुमार बॉबी और इरफान का कच्चा चिट्ठा खोलने में कामयाब हो जाता है। पर कहानी यहां खत्म नहीं होती बल्कि शुरु होती है,जब सोनम कपूर इस हादसे के बाद आत्महत्या की कोशिश करती है। और अक्षय उसका घर बसाने का वादा करता है।

फिल्म की कॉमेडी बहुत स्तरीय भले न हो लेकिन बज्मी का अनुभव दर्शकों को हंसाने की काबिलियत रखता है। एक्टिंग के मामले में इरफान खान सब पर भारी रहे हैं। जबकि,अक्षय कुमार इस फिल्म से एक हिट की उम्मीद लगा सकते हैं और उनकी एक्टिंग भी ठीक ठाक है। सुनील शेट्टी उसी अंदाज में दिखे हैं,जो वह बेहतर तरीके से निभाते हैं। हां, तीनों अभिनेत्रियों यानी सोनम कपूर, रिमी सेन, सेलिना जेटली के एक्टिंग क्षमता पर सवाल उठाए जा सकते हैं। सोनम का तो हिन्दी बोलने का तरीका ही गड़बड़ दिखता है।

फिल्म में गाने बेवजह ठूंसे गए दिखते हैं और कोई गाना सिनेमाघर से बाहर निकलने पर याद नहीं रहता। फिल्म की कहानी नयी नहीं है और न ही यह बेहद शानदार फिल्म है। लेकिन, हंसाने का माद्दा रखती है। एक बार देख ली जाए तो कोई बुराई नहीं है। हां, दिमाग को घर रखिए और फिल्म देखते वक्त समीक्षक की भूमिका में मत आइए। एक दर्शक के नजरिए से फिल्म देखिए और बस मजा लीजिए।

मैंने इस फिल्म का आनंद लिया और सभी से कहना चाहूंगा कि फिल्म पैसा वसूल है।

-विवेक द्विवेदी

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