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गोपालदास ने भी किया अन्‍ना अजारे का समर्थन

gopldas comes with annahazare

8 अप्रैल 2011

गुरदासपुर (पंजाब)। पाकिस्तान की जेल से 27 साल बाद रिहा होते ही गोपाल दास भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की मुहिम से जुड़ गए। उन्होंने इस आंदोलन को अपना पूरा समर्थन देने की घोषणा की। दास ने कहा, "हजारे सही कर रहे हैं और उन्हें मेरा पूरा समर्थन है। घोटालों में फंसे देश को उबारने का और कोई तरीका नहीं है। मुख्य दोषी हमारे नेता हैं।"

वह कहते हैं, "भारत और पाकिस्तान से किसी को भी खुफिया एजेंसियों के चक्कर में नहीं आना चाहिए। एकबार यदि आप पुलिस या अर्धसैनिक बलों की पकड़ में आ जाते हैं तो कोई भी आपकी मदद के लिए नहीं आता।" बकौल दास, "आश्चर्य नहीं होना चाहिए यदि खुफिया एजेंसियां बाद में आपको पहचानने से इंकार कर दे या आपको मृत घोषित कर दे। उनका एकमात्र मकसद किसी भी तरह अपना काम निकलवाना होता है। वे लोगों की जान के साथ केवल खेलते हैं, उन्हें भविष्य के लिए कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराते।"

दास ने कहा, "उन्होंने मुझे छोड़ दिया। कोई भी मुझे और मेरे पीछे मेरे परिवार को लेकर चिंतित नहीं था। अब भी 22-25 भारतीय सजा पूरी हो जाने के बाद भी पाकिस्तानी जेल में बंद हैं। वे बेहद तनावपूर्ण जीवन जी रहे हैं। मैं भारत सरकार से अपील करता हूं कि वह उनके लिए कुछ करें।" दास की रिहाई के लिए अथक प्रयास करने वाले उनके भाई आनंद वीर दास भी सरकारी रवैये से बेहद आहत हैं। उन्होंने कहा, "मदद के लिए मैं एक सरकारी दफ्तर से दूसरे कार्यालय तक कई चक्कर लगाए, लेकिन किसी ने मुझे संतोषजनक जवाब नहीं दिया। एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने गोपाल को भारतीय के रूप में स्वीकार करने से भी इंकार कर दिया।"

"उसके बाद मैंने पाकिस्तान के मानवाधिकार मामलों के पूर्व मंत्री अंसार बर्नी से सम्पर्क किया, लेकिन मेरी उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। हालांकि मैं उन्हें पत्र भेजने में कामयाब रहा। एक दिन मैंने समाचार पत्र में पढ़ा कि बर्नी ने मेरे भाई का मुद्दा उठाया है। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से अंतत: मेरा भाई रिहा हो गया।" दास को 1984 में पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें इस मामले में 1987 में आजीवन कारावास की सजा हुई। इस साल के अंत तक उन्हें रिहा किया जाना था, लेकिन सर्वोच्च न्यायाल की अपील पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दास की आगे की सजा माफ करते हुए उनकी रिहाई की घोषणा की। गुरुवार को रिहा होने के बाद वह अटारी-वाघा बॉर्डर से भारत आ गए।

 

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