9 अप्रैल 2012
अहमदाबाद | गुजरात में 2002 में हुए दंगों के सिलसिले में एक विशेष अदालत ने सोमवार को आनंद जिले के ओदे गांव में 23 लोगों की हत्या के मामले में 23 लोगों को दोषी करार दिया जबकि इतने ही लोगों को बरी कर दिया। यह घटना एक मार्च, 2002 की है। गोधरा में कार सेवकों से भरी रेलगाड़ी को जलाए जाने के बाद दंगाइयों ने ओदे गांव के पीरवाली भागोल की एक इमारत को आग लगा दी थी। इस आगजनी में 23 मुसलमानों की मौत हो गई थी।
गोधरा में रेलगाड़ी जलाने और सरदारपुरा के भीषण नरसंहार के अलावा दंगों से सम्बंधित यह तीसरा मामला है, जिसमें विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। इस मामले में कुल 47 लोगों को आरोपी बनाया गया था।
राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने विशेष अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है। पार्टी के नेता यतिन ओझा ने इस फैसले को न्याय की जीत बताया है।
ओझा ने समाचार चैनल टाइम्स नाउ से बातचीत के दौरान कहा, "यह फैसला साबित करता है कि पीड़ितों के साथ न्याय हुआ है। इस तरह के गम्भीर मामलों में फैसला आने में वक्त लगता है।"
"दिल्ली में दंगाों के मामले को लेकर 27 साल से सुनवाई जारी है। गुजरात इससे अलग नहीं है। यहां फैसले में देरी हुई है लेकिन एक-एक करके तीन मामलों में फैसला आ चुका है।"
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