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रचनात्मक और मैत्रीपूर्ण रही भारत-पाक के बीच सियाचिन वार्ता

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30 मई 2011

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच 27 साल पुराने सियाचिन ग्लेशियर विवाद को सुलझाने के मकसद से यहां शुरू हुई दो दिवसीय बातचीत के पहले दिन सोमवार को रचनात्मक और मैत्रीपूर्ण माहौल रहा।

रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "दोनों पक्षों की तरफ से वार्ता में सकारात्मक रुख रहा। दोनों पक्षों ने सियाचिन पर अपना-अपना पक्ष रखा। उन्होंने दूसरे मुद्दों पर भी बात की।"

दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन पर नवम्बर 2003 से युद्धविराम लागू है। युद्धविराम के बाद से पाकिस्तान भारत से यहां से फौज हटा लेने की मांग करता रहा है। इधर भारत का कहना है कि सियाचिन पर किसी भी तरह की वार्ता शुरू होने से पहले पाकिस्तान इस क्षेत्र में 110 किलोमीटर लम्बी वास्तविक भूमि स्थिति रेखा (एक्युअल ग्राउंड पोजिशन लाइन) को मान्यता दे। चार वर्षो के दौरान दोनों पक्षों के बीच यह पहली रक्षा वार्ता है।

अधिकारी ने कहा कि भारतीय रक्षा सचिव प्रदीप कुमार और पाकिस्तानी रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अतहर अली के बीच सियाचिन पर यह 12वें दौर की वार्ता है।

यह बातचीत दोनों देशों के उस प्रयास का हिस्सा है, जिसके तहत वे इस दीर्घकालिक मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं। दोनों देशों ने फिर से बातचीत शुरू करने का निर्णय लिया है। नवम्बर 2008 के मुम्बई हमले के बाद से ही दोनों देशों के बीच बातचीत रुकी हुई थी।

दोनों देशों के विदेश सचिव और गृह सचिव पहले ही मिल चुके हैं और अब बारी रक्षा सचिवों की मुलाकात की है।

इस श्रृंखला की 12वें दौर की इस बातचीत में हिस्सा ले रहे भारतीय दल में कुमार के अलावा विशेष सचिव आर.के. माथुर, सैन्य अभियान के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ए.एम. वर्मा और महासर्वेक्षक एस. सुब्बा राव शामिल हैं।

पाकिस्तानी दल के अन्य सदस्यों में मेजर जनरल अशफाक नदीम अहमद, मेजर जनरल मुनव्वर अहमद सोलहरी और मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) मीर हैदर अली खान शामिल हैं।

वार्ता मंगलवार को भी जारी रहेगी। वार्ता की समाप्ति पर दोनों पक्षों की ओर से संयुक्त बयान जारी करने की आशा है, जिसमें वार्ता में हुई प्रगति के बारे में बताया जा सकता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच सियाचिन पर बातचीत 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जिया-उल-हक के बीच ओमान और नई दिल्ली में हुई चर्चाओं के बाद शुरू हुई थी।

नई दिल्ली में अगस्त 2004 में रक्षा सचिव स्तर की आठवीं दौर की वार्ता के बाद यह बातचीत पाकिस्तान के साथ कश्मीर सहित सभी मुद्दों पर समग्र बातचीत का एक हिस्सा बन गई है।

सियाचिन विवाद के बारे में अधिकारी ने कहा कि 1972 के शिमला समझौते में हिमनद के एनजे-9842 बिंदु तक वास्तविक नियंत्रण रेखा का निर्धारण किया गया था। इस बिंदु से आगे सीमा को चिह्न्ति नहीं किया गया है। इसे लेकर दोनों पक्षों में मतभेद है।

पाकिस्तान का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा काराकोरम दर्रे से होकर एनजे-9842 बिंदु तक पहुंचती है। भारत का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा अंतर्राष्ट्रीय सीमा परम्परा के मुताबिक साल्तोरो की पहाड़ी के जल विभाजन से होकर गुजरती है।

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