8 जून 2012
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व संगठन महामंत्री संजय जोशी उत्तर प्रदेश के प्रभार से मुक्त हो गए हैं। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी को पत्र लिखकर पार्टी के उत्तर प्रदेश के प्रभार से मुक्त करने का अनुरोध किया था, जिसे गडकरी ने स्वीकार कर लिया। सूत्रों का कहना है कि जोशी से नाराज गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पार्टी से निकाल बाहर करने के लिए गडकरी पर दबाव बनाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि उन्होंने जोशी को बाहर नहीं निकाला तो वह स्वयं पार्टी छोड़ देंगे।
उत्तर प्रदेश के प्रभार से मुक्त करने के लिए जोशी की ओर से गडकरी को लिखे गए पत्र और फिर भाजपा अध्यक्ष द्वारा इसे स्वीकार कर लेने को इसी संदर्भ में जोड़कर देखा जा रहा है।
जोशी और मोदी के बीच तनाव की खबरें पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में हैं। पिछले महीने मुम्बई में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मोदी तभी शामिल हुए, जब जोशी ने कार्यकारिणी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
मोदी के इस रवैये की पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने दबी जुबान में निंदा भी की। पिछले दिनों दिल्ली में भाजपा कार्यालय और पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के आवास के साथ-साथ अहमदाबाद और अन्य शहरों में भी जोशी की बड़ी सी तस्वीर के साथ पोस्टर चिपकाए गए थे, जिसमें मोदी का नाम लिए बगैर लिखा था कि किसी एक व्यक्ति की तानाशाही नहीं चलेगी। स्पष्ट तौर पर इशारा मोदी की ओर था।
मोदी के इस रवैये की आलोचना भाजपा के मुखपत्र 'कमल संदेश' में भी की गई। वहीं, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने जोशी की तारीफ कर मोदी को झटका दिया।
बिहार के उप मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने भी नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी में किसी व्यक्ति का आधिपत्य नहीं हो सकता और न ही किसी की तानाशाही स्वीकार नहीं की जा सकती है। सुशील मोदी ने यह बात एक साक्षात्कार में कही। उन्होंने हालांकि स्पष्ट तौर पर नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिया।
जोशी को उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपे जाने से भी मोदी नाराज थे और इसलिए वह उत्तर प्रदेश में हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के प्रचार के लिए वहां नहीं गए।
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