15 दिसम्बर 2011
लंदन। एक अफ्रीकी प्रजाति की श्रमजीवी चीटियां खुद में मौजूद एक शक्तिशाली जहर से दीमक को दूर से ही पंगु बना सकती हैं व मार सकती हैं। प्राकृतिक कीटनाशक तैयार करने की दिशा में यह शोध मददगार हो सकता है।
फ्रांस के टोउलोउज विश्वविद्यालय की शोधकर्ता एंजेलिक्यू वेटिलार्ड के नेतृत्व में हुए अध्ययन में श्रमजीवी चीटियों के जहर में कुछ विशेष रसायन होने की बात कही गई है, जो जहर विषाक्तता के स्रोत के सम्बंध में प्रारम्भिक सुराग पेश करते हैं।
वेटिलार्ड ने कहा, "यह अध्ययन हमें वह आधार देता है, जहां से प्राकृतिक कीटनाशक खोजने व वर्तमान कीटनाशकों में मौजूद अणुओं के लिए प्रतिरोधकता पैदा हो जाने पर नए अणु खोजने की दिशा में आगे और अध्ययन शुरू किए जा सकते हैं।"
'पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस' जर्नल के मुताबिक क्रीमेटोगैस्टर स्ट्रेटुला प्रजाति पर हुआ यह अध्ययन बताता है कि श्रमजीवी चीटियों के रक्षात्मक अंगों में मौजूद रसायन के तीन काम होते हैं, ये नजदीक के बिल में रहने वाली समान प्रजाति की चीटियों को आकर्षित करते हैं, दूसरी प्रजातियों की चीटियों को दूर भगाते हैं और दीमक को मारते व पंगु बनाते हैं।
विश्वविद्यालय द्वारा जारी वक्तव्य के मुताबिक समान प्रजाति की चीटियों को आकर्षित करने व विदेशी प्रजाति को विकर्षित करने के लिए सीधा सम्पर्क जरूरी है जबकि दीमकों पर इन चीटियों का जहर दूर से ही कारगर होता है।
यह महत्वपूर्ण भी है क्योंकि जब गैर प्रजाति की चीटियां भोजन से स्रोतों के लिए संघर्ष करती हैं तो वे इस रसायन के कारण अपना निर्णय बदलकर चली जाती हैं। दूसरी ओर दीमक श्रमजीवी चीटियों की सीमा का उल्लंघन करते हैं।
चीटियों में मौजूद जहर के दूर से ही अपना असर दिखाने के चलते वे बिना उनके सीधे सम्पर्क में आए सुरक्षित रहती हैं।
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