10 अप्रैल 2012
लखनऊ | उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) की जीत में भागीदार बने मुसलमान अब पार्टी के दो बड़े मुस्लिम चेहरों -आजम खान और जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद शाह बुखारी- के बीच जारी जुबानी जंग से दुविधा में पड़ गए हैं। उन्हें यह नहीं समझ में आ रहा है कि आखिर सही कौन है। मुसलमानों को इस बात की आशंका है कि इन दोनों दिग्गजों की लड़ाई के कारण कहीं कौम के हित प्रभावित न हो जाएं।
लखनऊ के मुस्लिम बाहुल्य, चौक इलाके के सपा समर्थक नईम अंसारी ने आईएएनएस से कहा, "अगर पार्टी के दो सशक्त चेहरे इस तरह सार्वजनिक तौर पर जुबानी जंग करेंगे तो लोगों में इसका खराब संदेश जाएगा।"
सपा समर्थक लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता इमरान सिद्दीकी ने कहा, "कौम की तरक्की के लिए हमने सपा को अपना कीमती वोट दिया। यदि सपा के दो मुस्लिम चेहरे आपस में ही ऐसे लड़ते रहेंगे तो कौम का भला कैसे होगा।"
बरेली की आला हजरत दरगाह से जुड़े धर्म गुरु फाकिर अली ने कहा, "सपा के दो मुस्लिम दिग्गज, कौम के विकास पर ध्यान देने के बजाय इस तरह सरेआम बयानबाजी और झ्झगड़ा करके कौम के लिए शर्मिंदगी का सबब बन रहे हैं।"
ज्ञात हो कि सपा के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री आजम खान और दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम एवं सपा के लिए विधानसभा चुनाव में प्रचार करने वाले अहमद शाह बुखारी के बीच जुबानी जंग दिन पर दिन लगातार बढ़ती जा रही है।
इमाम ने जहां आजम को बेईमान करार देते हुए उन्हें मुसलमानों का दुश्मन बताया, तो आजम ने इमाम को राजनीति से दूर रहने की नसीहत देते हुए अवसरवादी बताया।
आजम ने आरोप लगाया है कि इमाम चुनाव हारने वाले अपने दामाद को मंत्री न बनाए जाने और अपने भाई को राज्यसभा का टिकट न मिलने के कारण ऐसी हरकतों पर उतर आए हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "इमाम और आजम दोनों अपनी-अपनी अहिमयत और महत्व दिखाना चाह रहे हैं। और सपा नेतृत्व इस विवाद में फिलहाल चुप्पी साधे हुए है।"
मौजूदा विवाद के बारे में पूछे जाने पर सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, "देखिए यह पार्टी का अंदरूनी मामला है। जो भी विवाद है उसे आपस में मिल-बैठकर सुलझा लिया जाएगा।"
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