2 अक्टूबर 2012
मुबई। सामाजिक रूप से प्रासंगिक विषयों पर फिल्में बनाने के लिए मशहूर प्रकाश झा कहते हैं कि उनके लिए इस तरह के मुद्दे व अपनी फिल्मों को मनोरंजक बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है। साठ वर्षीय झा ने कहा, "मैं लोकप्रिय सिनेमा के जरिए इन मुद्दों को सामने लाना चाहता हूं इसलिए मुझे नाच-गाने वाली, भावुकता से भरे स्वप्निल संसार, हास्य वाली फिल्मों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है क्योंकि लोगों का इन्हीं चीजों से मनोरंजन होता है।"
उन्होंने कहा, "यदि मेरी फिल्म मनोरंजन नहीं करेगी तो लोग उसे नहीं देखेंगे। इसलिए मेरे लिए मेरे दृष्टिकोण को आगे रखने के लिए व्यावसायिक सिनेमा से प्रतिस्पर्धा एक चुनौती है।"
झा ने 'गंगाजल', 'अपहरण', 'राजनीति', 'आरक्षण' जैसी फिल्में बनाई हैं। उनकी आने वाली फिल्म 'चक्रव्यूह' में उन्होंने नक्सलियों की समस्या उठाई है।
जब उनसे इस तरह की फिल्मों के निर्माण की वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दों का इतिहास तैयार करना जरूरी है।
उन्होंने कहा, "मंडल आयोग आने के बाद जमीनी स्तर पर जो परिवर्तन हुए या खुली अर्थव्यवस्था से जो बदलाव आए, फिर आरक्षण के जो कुछ परिणाम हुए.. उन सब का वृत्तांत और इतिहास तैयार करना जरूरी है। इस सब को आगे लाने के लिए नाटकीयता होना भी जरूरी है।"
'चक्रव्यूह' में अर्जुन रामपाल, अभय देओल, मनोज बाजपेयी, ऐशा गुप्ता ने अभिनय किया है। फिल्म इस दशहरे पर प्रदर्शित होगी।
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