2 मई 2011
लंदन। शरीर की ज्यादातर कोशिकाएं बेहद सूक्ष्म नलिकाओं की मदद से विद्युत संकेत भेजकर एक-दूसरे से बातें करती हैं। ये सूक्ष्म नलिकाएं ही कोशिकाओं के बीच संचार की माध्यम हैं।
नार्वे में हुआ एक अध्ययन बताता है कि कोशिकाएं भ्रूण निर्माण या घावों को भरने की दिशा में किस तरह से मिलजुलकर साथ में काम करती हैं।
'प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस' पत्रिका के मुताबिक बीते करीब 10 साल से शोधकर्ताओं को यह जानकारी थी कि कोशिकाएं एक-दूसरे के बीच बेहद सूक्ष्म नलिकाएं विकसित कर लेती हैं। इन नलिकाओं को 'टनलिंग नैनोट्यूब्स' (टीएनटी) कहा जाता है।
इन नलिकाओं की लम्बाई केवल दो या तीन कोशिकाओं जितनी ही होती है जबकि ये मानव बाल की मोटाई के केवल 500वें हिस्से जितनी मोटी होती हैं। ये नलिकाएं किसी भी तरह की कोशिकाओं के बीच संचार व्यवस्था स्थापित करती हैं।
साल 2007 में हुए एक प्रयोग में स्पष्ट हुआ था कि दो कोशिकाओं के बीच संकेतों का आदान-प्रदान इन सूक्ष्म नलिकाओं के जरिए होता है। बाद में शोधकर्ताओं ने अन्य प्रकार की कोशिकाओं में भी इस तरह का संचार खोजने की कोशिश की।
नार्वे के बर्गेन्स विश्वविद्यालय के बायोमेडीसिन विभाग के जियांग वांग व हंस-हरमन गर्डेस व अन्य शोधकर्ताओं ने खोज की कि विद्युत संकेत इन सूक्ष्म नलिकाओं के जरिए एक कोशिका से दूसरी कोशिका में एक से दो मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से पहुंचते हैं।
प्रोफेसर गर्डेस कहते हैं, "हम सुनिश्चित हैं कि यह कोशिकाओं के बीच होने वाली सामान्य घटना है।"
कोशिकाओं के बीच निर्मित होने वाली ये सूक्ष्म नलिकाएं स्थायी नहीं होती हैं। इनमें से ज्यादातर केवल चंद मिनटों तक ही बनी रहती हैं। इसका मतलब है कि शोधकर्ता यह नहीं पता लगा सके हैं कि नलिकाएं कब और किस तरह विकसित होती हैं।
शोधकर्ता वांग का कहना है कि कोशिकाओं के बीच संकेतों के आदान-प्रदान के लिए केवल सूक्ष्म नलिकाएं ही काफी नहीं हैं। ज्यादातर कोशिकाओं में सूक्ष्म छिद्र होते हैं, जो गोलाकार प्रोटीन से बने होते हैं। इन्हें 'गेप जंक्शन' कहते हैं।
एक कोशिका से निकली सूक्ष्म नलिकाएं गेप जंक्शन के जरिए दूसरी कोशिका से जुड़ती हैं और तभी उनके बीच विद्युत संकेतों का आदान-प्रदान होता है।
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