13 दिसम्बर 2012
मुम्बई। अभिनेता अरशद वारसी का मानना है कि बीते 100 वर्षो के दौरान भारतीय फिल्म उद्योग में कई सकारात्मक बदलाव आए हैं लेकिन पैसा कमाने के चक्कर में इस दौरान फिल्म बनाने का उत्साह खत्म हो गया है। अरशद ने कहा, "हम इसे नहीं भूल सकते कि हमारा उद्योग गानों, संगीत और मनोरंजन करने वाली फिल्मों के लिए जाना जाता है और यह अच्छी बात है। दूसरी अच्छी बात यह है कि हम लोग इन 100 सालों में तकनीकी तौर पर आगे बढ़े हैं। आज शाहरुख का 'रावन' है इसलिए हम तकनीकी तौर पर आगे बढ़े हैं। यह अच्छा है।"
उन्होंने कहा, "लेकिन बुरी बात यह है कि हम लोग कहीं न कहीं फिल्म बनाने का उत्साह खो बैठे हैं। आज यह व्यवसाय बन गया है जो बहुत ही बुरा है। इसलिए बीते 100 वर्षो में अच्छी एवं बुरी दोनों चीजें हुई हैं।"
अरशद की पिछली फिल्म 'डबल धमाल' थी जो 2011 में प्रदर्शित हुई थी।
उनकी आने फिल्मों में 'जो भी करवा लो', 'डेढ़ इश्किया', राजकुमार हिरानी की 'पीके' और 'चम्बल सफारी' है।
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