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सत्य साईं बाबा : ग्रामीण बालक से भगवान बनने तक का सफर

The way from boy to be God

24 अप्रैल 2011

पुट्टापर्थी। सत्य साईं बाबा का लम्बी बीमारी के बाद रविवार को यहां 'सत्य साईं बाबा सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल' में निधन हो गया। उनके लाखों भक्त उन्हें ईश्वरीय अवतार के रूप में देखते थे। केवल 14 साल की उम्र में उन्होंने खुद को 'अवतार' घोषित कर दिया था और उदार हिन्दू धर्म का उपदेश देना शुरू कर दिया था।

उनका जन्म 23 नवम्बर, 1926 को पुट्टापर्थी में सत्यनारायण राजू के रूप में हुआ था। उनके अनुयायियों का कहना है कि 1940 में एक बिच्छू के काटने के बाद उन्होंने संस्कृत के श्लोक का उच्चारण शुरू कर दिया, जबकि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।

इसके बाद दो माह के भीतर उन्होंने खुद को शिरडी के साईं बाबा का अवतार घोषित कर दिया, जिनके बारे में कहा जाता है कि 1918 में अपनी मौत से पहले उन्होंने अपने भक्तों से कहा था कि आठ साल बाद वह दोबारा मद्रास प्रेसीडेंसी में अवतरित होंगे।

इस बीच यह किशोर आध्यात्म की एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरा। समय के साथ घने बाल और भगवा वस्त्र उनकी पहचान बन गए। हाथों से भभूत, शिवलिंग, घंटियां और गले का हार निकालने वाले चमत्कारिक गुणों के साथ-साथ वह सत्य साईं बाबा के रूप में प्रख्यात हो गए।

इसके बाद छोटा सा गांव पुट्टापर्थी धीरे-धीरे तीर्थस्थान के रूप में चर्चित हो गया, जिसका अपना रेलवे स्टेशन और हवाई पट्टी भी है।

आध्यात्मिक गुरु ने वर्ष 1944 में मंदिर बनवाया। चार साल बाद उन्होंने पुट्टापर्थी में प्रशांति निलायम (सर्वोच्च शांति का निवास स्थान) की स्थापना की।

उन्होंने बेंगलुरू के बाहरी इलाके में व्हाइट फील्ड तथा तमिलनाडु के कोडैकनाल में भी आश्रम खोला और अनुयायियों को अपना मूल धर्म नहीं छोड़ने को कहा।

उनका उपदेश था, "मेरा उद्देश्य सनातन धर्म की स्थापना करना है, जो सभी धर्मों के संस्थापकों द्वारा इस स्वीकार्यता में यकीन करता है कि ईश्वर एक है।"

इस बीच हालांकि उनकी आलोचना भी होती रही। उन्हें भौतिकवादी बताया गया, लेकिन इससे उनके अनुयायियों को फर्क नहीं पड़ा। उनका आध्यात्मिक साम्राज्य बढ़ता ही गया और आज 130 देशों में उनके करोड़ों अनुयायी हैं।

साईं बाबा धर्मार्थ कायरें से भी जुड़े रहे। उन्होंने बेंगलुरू और पुट्टापर्थी में गरीबों को चिकित्सा सुविधा और नि:शुल्क शिक्षा मुहैया कराई।

उन्हें पुट्टापर्थी के अनंतपुर जिले और चेन्नई में पेयजल योजना शुरू करने का श्रेय भी जाता है। उनके आश्रम में भोजन बेहद सस्ते दरों पर उपलब्ध कराया जाता है और यह उन्हें भी दिया जाता है, जो उनके अनुयायी नहीं हैं।

वर्ष 2001 में उन्होंने शांति तथा सौहार्द का संदेश देने के लिए 'रेडियो साईर्ं ग्लोबल हार्मोनी' नाम से डिजिटल रेडियो नेटवर्क शुरू किया।

उनके करोड़ों अनुयायियों में राजनेता, फिल्म अभिनेता और उद्योगपति भी शामिल हैं। लेकिन विवाद भी उनसे हमेशा जुड़े रहे।

उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा। बीबीसी ने उन पर एक बार वृत्तचित्र बनाया, जिसमें उनके बारे में नकारात्मक बातें कही गईं। साईं बाबा जीवनभर अविवाहित रहे। उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में बहुत जानकारी नहीं है।

वर्ष 1993 में उनके कमरे में चार घुसपैठियों की पुलिस द्वारा हत्या आज भी रहस्य बनी हुई है।

वर्ष 2005 से वह व्हीलचेयर पर चलते रहे और खराब स्वास्थ्य के कारण लोगों के सामने बहुत कम उपस्थित हुए।

उनकी दो बड़ी बहनों, एक बड़े भाई और एक छोटे भाई की मौत हो चुकी है। भाई-बहनों के कुछ बच्चे उनके ट्रस्ट से जुड़े हैं।

बहुत से लोगों का मानना है कि 28 मार्च को अस्पताल में भर्ती होने के एक दिन बाद ही उनकी मौत हो गई थी। परिजन उनकी मौत की घोषणा के लिए किसी उपयुक्त समय की प्रतीक्षा कर रहे थे।

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