11 दिसम्बर 2011
नई दिल्ली| सरकारी लोकपाल विधेयक की रिपोर्ट से नाराज वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने शनिवार को एक बार फिर सरकार पर तीखे हमले किए। अन्ना हजारे ने आगामी विधानसभा चुनावों में जहां कांग्रेस के खिलाफ अभियान चलाने की चेतावनी दी है वहीं, विधेयक पर चर्चा के लिए सरकार ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। अन्ना हजारे ने लोकपाल विधेयक का परीक्षण करने वाली संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट को 'कमजोर' और 'प्रभावहीन' बताया है। उन्होंने कहा कि समिति ने देश के साथ धोखा किया है। सरकारी विधेयक के विरोध में अन्ना हजारे रविवार को जंतर-मंतर पर एक दिन का सांकेतिक अनशन करेंगे।
टीम अन्ना ने लोकपाल विधेयक पर चर्चा के लिए राजनीतिक दलों को भी आमंत्रित किया है। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता के हमलों के जवाब में केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने उनसे एक प्रभावी लोकपाल विधेयक लाने के लिए कहा था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि लोकपाल विधेयक पर आम सहमति बनाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को अपने आधिकारिक आवास 7, रेस कोर्स रोड पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इसके पहले मंगलवार को कैबिनेट और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) नेताओं की बैठक होनी प्रस्तावित है।
महाराष्ट्र के अपने गांव रालेगण सिद्धि से शनिवार को नई दिल्ली पहुंचते ही अन्ना हजारे ने सरकार और संसद की स्थायी समिति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, "यह पूरे देश के साथ धोखा ..यह सरकार है या बनिए की दुकान? प्रधानमंत्री ने एक पत्र भेजा था जिसमें बताया गया कि इन तीनों मुद्दों को लोकपाल विधेयक के अंतर्गत लाया जाएगा।..प्रधानमंत्री का पत्र कूड़े की टोकरी में फेंक दिया गया। ऐसी राजनीति क्यों?"
अन्ना हजारे ने कहा, "इसके पीछे कोई है..हमें संदेह है कि राहुल गांधी इसके पीछे हैं..क्योंकि बिना उनके हस्तक्षेप के यह सम्भव नहीं है। यही कारण है कि ये समस्याएं उपस्थित हुई हैं।"
अपनी बात रखने के क्रम में अन्ना हजारे ने यह भी कहा कि टीम अन्ना भविष्य में राहुल गांधी के साथ काम करेगी।
अन्ना हजारे ने कहा, "लोकपाल मुद्दे पर सभी के रुख को ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी को इस पर निर्णय लेना है। हम भविष्य में उनके साथ काम करेंगे और मैं इस देश की युवा शक्ति में विश्वास करता हूं।"
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से यह पूछे जाने पर कि वह क्यों राहुल गांधी को निशाना बना रहे हैं, जबकि युवाओं के साथ काम करने पर उनका जोर रहा है और केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि राहुल ने भी एक प्रभावी लोकपाल विधेयक का समर्थन किया है।
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, "कई लोगों का मानना है कि राहुल गांधी शीघ्र ही प्रधानमंत्री बनेंगे लेकिन यदि वह लोकपाल पर अपने वर्तमान विचारों को नहीं बदलते तो यह देश के लिए खतरनाक होगा।"
ज्ञात हो कि सरकारी लोकपाल विधेयक के मसौदे का विरोध करने के लिए अन्ना हजारे शनिवार को नई दिल्ली पहुंचे। वह रविवार को जंतर-मंतर पर एक दिन का सांकेतिक अनशन करेंगे।
अन्ना हजारे से यह पूछने पर कि वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी को निशाने पर क्यों नहीं ले रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा, "सोनिया स्वस्थ नहीं हैं। यदि वह कुछ कहते हैं तो उनकी तबियत बिगड़ सकती है।"
उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं वहां टीम अन्ना जाएगी और जन लोकपाल विधेयक के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ ही इस पर कांग्रेस का रुख स्पष्ट करेगी।
अन्ना हजारे ने कहा, "हम लोगों से यह भी कहेंगे कि उन लोगों को सत्ता में भेजने का क्या फायदा जो देश से भ्रष्टाचार नहीं मिटाना चाहते। हम अगले दो सालों तक लगातार संघर्ष करते रहेंगे। आम चुनावों से पहले हम लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए पूरे देश का दौरा करेंगे। उन लोगों को दोबारा सत्ता में भेजने का क्या फायदा जिन्होंने देश को बर्बाद कर दिया है।"
ज्ञात हो कि संसद के शीतकालीन सत्र का अवसान 22 दिसम्बर को हो रहा है।
वहीं, अरविंद केजरीवाल ने कहा कि समिति के अध्यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि समिति किसी संस्थान अथवा किसी व्यक्ति के लिए काम नहीं कर रही है लेकिन लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने की सिफारिश की है। उन्होंने ऐसा राहुल गांधी के लिए किया है क्योंकि उन्होंने लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने की बात कही थी।
इसके पहले अन्ना हजारे ने समिति की रिपोर्ट को 'कमजोर' और 'प्रभावहीन' बताया। उन्होंने कहा, "सरकार भ्रष्टाचार मिटाने के प्रति गम्भीर नहीं है। सरकार में स्थायी समिति की रिपोर्ट खारिज करने की इच्छाशक्ति नहीं है।"
वहीं, टीम अन्ना के हमलों का जवाब देते हुए खुर्शीद ने कहा, "राहुल गांधी ने मुझसे एक बात कही थी। वह यह कि एक प्रभावी लोकपाल विधेयक लाना है। इस पर देश को गर्व करना चाहिए.यदि इसे आप एक कमजोर विधेयक बता रहे हैं तो मुझे नहीं मालूम कि एक प्रभावी लोकपाल विधेयक क्या है।"
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