नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म का पवित्र त्योहार है। इस पावन अवसर पर माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यूं तो एक वर्ष में नवरात्रि पाँच बार आती हैं। लेकिन इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि ही प्रमुख हैं। वहीं शेष तीन नवरात्रियों को गुप्त नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इनमें माघ गुप्त नवरात्रि, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि और पौष नवरात्रि हैं। सनातन धर्म में माँ दुर्गा को इस संसार का संरक्षक माना गया है। वेद-पुराणों में भी माँ दुर्गा को शक्ति का रूप खा जाता है। कहते हैं कि माँ दुर्गा ने असुरों का नाश करके इस संसार को बचाया था। नवरात्र के समय माँ के भक्त उनसे अपने सुखी जीवन और समृद्धि की कामना करते हैं। नवरात्र में नौ दिनों का व्रत रखा जाता है। व्रत के दौरान घर में कीर्तन भजन और जागरण का आयोजन किया जाता है। ऐसा करने से माँ की कृपा होती है और घर से नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं तथा घर में सुख शांति और समृद्धि आती है। इस अवसर पर देश के कई हिस्सों में मेलों और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
देखें वर्ष 2019 में पर्व और त्यौहार पूरी लिस्ट
चैत्र नवरात्रि 2019 - दिनांक एवं तिथि
| क्र। सं. | दिनांक | माता के नौ रूप | तिथि |
| 1. | 6 अप्रैल 2019 | माँ शैलपुत्री | प्रतिपदा |
| 2. | 7 अप्रैल 2019 | माँ ब्रह्मचारिणी | द्वितीया |
| 3. | 8 अप्रैल 2019 | माँ चंद्रघण्टा | तृतीया |
| 4. | 9 अप्रैल 2019 | माँ कूष्माण्डा | चतुर्थी |
| 5. | 10 अप्रैल 2019 | माँ स्कंदमाता | पंचमी |
| 6. | 11 अप्रैल 2019 | माँ कात्यायिनी | षष्ठी |
| 7. | 12 अप्रैल 2019 | माँ कालरात्रि | सप्तमी |
| 8. | 13 अप्रैल 2019 | माँ महागौरी | अष्टमी |
| 9. | 14 अप्रैल 2019 | माँ सिद्धिदात्री और नवरात्रि पारणा | नवमी |
चैत्र नवरात्रि 2020 के लिए घटस्थापना मुहूर्त
| दिनांक | घटस्थापना मुहूर्त | अवधि |
| 6 अप्रैल 2019 | 06:06:18 से 10:18:05 तक | 4 घंटे 11 मिनट |
नोट : दिया गया घटस्थापना मुहूर्त का समय नई दिल्ली, भारत के लिए है।
शारदीय नवरात्रि 2019 - दिनांक एवं तिथि
| क्र। सं. | दिनांक | माता के नौ रूप | तिथि |
| 1. | 29 सितंबर 2019 | माँ शैलपुत्री | प्रतिपदा |
| 2. | 30 सितंबर 2019 | माँ ब्रह्मचारिणी | द्वितीया |
| 3. | 1 अक्टूबर 2019 | माँ चंद्रघण्टा | तृतीया |
| 4. | 2 अक्टूबर 2019 | माँ कूष्माण्डा | चतुर्थी |
| 5. | 3 अक्टूबर 2019 | माँ स्कंदमाता | पंचमी |
| 6. | 4 अक्टूबर 2019 | माँ कात्यायिनी | षष्ठी |
| 7. | 5 अक्टूबर 2019 | माँ कालरात्रि | सप्तमी |
| 8. | 6अक्टूबर 2019 | माँ महागौरी | अष्टमी |
| 9. | 7 अक्टूबर 2019 | माँ सिद्धिदात्री | नवमी |
| 10. | 8 अक्टूबर 2019 | पारणा एवं दुर्गा विसर्जन | दशमी |
शरद नवरात्रि 2020 के लिए घटस्थापना मुहूर्त
| दिनांक | घटस्थापना मुहूर्त | अवधि |
| 29 सितंबर 2019 | 06:12:45 से 07:40:15 तक | 1 घंटे 27 मिनट |
नोट : दिया गया घटस्थापना मुहूर्त का समय नई दिल्ली, भारत के लिए है।
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नवरात्रि पर्व का महत्व
नवरात्र का अर्थ है नौ रातें। यानि कि नौ रातों का पर्व जो पूरी तरह से माँ को समर्पित है। नवरात्रि के नौ दिनों में माता के व्रत रखने और विधि विधान से उनकी पूजा करने से सारे दुख दर्द दूर होते हैं। इन नौ दिनों में तामसी भोजन से बिल्कुल परहेज करना चाहिए। मीट, मुर्गा, मछली, मदिरा और धूम्रपान के सेवन से भी परहेज करना चाहिए। इस दौरान जो व्यक्ति सीधा और सरल जीवन अपनाता है उस पर माता की असीम कृपा होती है। नौ दिन व्रत रखने के बाद दसवें दिन कन्याओं को भोजन कराया जाता है। जिसमें उन्हें पूड़ी, चने की सब्जी और हलवे का भोग लगाया जाता है। इस दिन कन्याओं को उपहार देने और दक्षिणा देने से भी घर में बरकत होती है।
नवरात्रि से जुड़ी परंपराएं क्या हैं
- नवरात्रि का पहला दिन माँ शैलपुत्री का होता है। माँ शैलपुत्री माँ पार्वती का ही रूप हैं। इनकी सवारी नंदी है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल का फूल होता है। इस दिन लाल रंग का कपड़ा पहनने का महत्व है। लाल रंग साहस, कर्म और शक्ति का प्रतीक है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना पूजा का भी विधान है।
- नवरात्रि का दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी का होता है। यह माँ बहुत साहसी होती हैं इसलिए इनका यह नाम है। ऐसी मान्यता है कि जब माँ पार्वती अविवाहित थीं तब उनको ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता था। माँ का यह रूप सफेद वस्त्र धारण किए होता है। इसलिए इस दिन सफेद वस्त्र पहनने की परंपरा है। माँ के दाएं हाथ में कमण्डल और बांए हाथ में जपमाला है। देवी का स्वरूप अत्यंत तेज और ज्योतिर्मय है। इस दिन का शुभ रंग सफेद है जो शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
- नवरात्रि का तीसरा दिन माता चंद्रघण्टा का होता है। पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि माँ पार्वती और भगवान शिव के विवाह के दौरान उनका यह नाम पड़ा था। शिव के माथे पर आधा चंद्रमा इस बात का साक्षी है। इस दिन का शुभ रंग पील है। यह रंग साहस और मजबूती का प्रतीक है। कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति खुद को बहुत साहसी और मजबूत महसूस करता है।
- नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्माडा की पूजा की जाती है। माँ का यह रूप शेर की सवारी करता है। धरती पर होने वाली हरियाली माँ के इसी रूप के कारण हैं। इसलिए इस दिन हरे रंग का महत्व होता है।
- नवरात्र का पांचवा दिन माँ स्कंदमाता को समर्पित है। इस दिन पूरे विधि विधान के साथ माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं और हिंदू ग्रंथों के अनुसार भगवान कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है। स्कंद की माता होने के कारण माँ का यह नाम पड़ा है। इन माँ की चार भुजाएं हैं। यह माँ अपने पुत्र के साथ शेर की सवारी करती है। इस दिन ग्रे रंग पहना जाता है।
- माँ कात्यायिनी दुर्गा की पूजा नवरात्रि कें छवें दिन की जाती है। यह माँ बहुत दयालु और प्यारी होती हैं। कहते हैं कि माँ का यह रूप बहुत भोला और दयालु होता है। सच्चे दिल से यदि इनसे कुछ माँगो तो वह जरूर मिलता है। माँ कात्यायिनी साहस का प्रतीक हैं। वे शेर पर सवार होती हैं और उनकी चार भुजाएं हैं। इस दिन केसरिया रंग का महत्व होता है।
- नवरात्र के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। माँ के उग्र रूप माँ कालरात्रि की आराधना होती है। पौराणिक कथा में ऐसा कहा गया है कि जब माँ पार्वती ने शुंभ-निशुंभ नामक दो राक्षसों का वध किया था तब उनका रंग काला हो गया था। हालांकि इस दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनने का महत्व होता है।
- नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा होती है। महागौरी को ही माता पार्वती भी कहा जाता है। माता का यह रूप शांति और ज्ञान का प्रतीक है। इस दिन गुलाबी रंग का महत्व होता है। यह माँ कष्ट हरने वाली और घर में सुख संपत्ति देने वाली होती है। जिन लोगों का संतान का सुख प्राप्त नहीं होता है यह माँ उसे पूरा करती हैं।
- नवरात्रि का आखिरी दिन माँ सिद्धिदात्री का होता है। ऐसा कहा जाता है कि जो कोई माँ की पूजा सच्चे दिल लगन से करता है उसे हर प्रकार का सुख और सिद्धि प्राप्त होती है। माँ सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान हैं और उनकी चार भुजाएँ हैं।
कैसे मनाते हैं नवरात्रि का त्यौहार
नवरात्रि का पावन त्यौहार बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि के अवसर पर सभी मंदिर दुल्हन की तरह सजे होते हैं। बाजार माँ के श्रृंगार से सजा होता है तो वहीं मेलों में बच्चे झूला झूलते हुए और चाट पकौड़ी खाते हुए दिखते हैं। इस पावन अवसर पर माँ दुर्गा के लाखों भक्त उनकी हृदय से पूजा-आराधना करते हैं। देवी के धामों में भक्तों का तांता लगा रहता है। भक्त माँ के दर्शन और उनका आर्शीवाद पाने के लिए घंटों लाइन में लगे रहते हैं। नवरात्रि के दसवें दिन माँ की प्रतिमा को बड़ी धूमधाम के साथ जल में प्रवाह किया जाता है। जिसे दुर्गाष्टमी भी कहते हैं।
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में इस दिन सिंदूर की होली खेली जाती हैं। इस दिन हर सुहागन औरत अपनी पूरी माँग भरती है। विवाहित महिलाएँ एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं। वहीं शारदीय नवरात्रि में गुजरात में इस मौके पर गरबा नृत्य का आयोजन किया जाता है। जिसमें लोग डांडिया नृत्य करते हैं। उत्तर भारत के राज्यों में नौ दिन रामलीला होती है। दसवें दिन भगवान श्री राम रावण का वध करते हैं। यह दिवस बुराई पर अच्छाई की और अधर्म पर धर्म की विजय को भी दिखाता है।
नवरात्रि की पूजा सामग्री
माँ दुर्गा की प्रतिमा या उनकी कोई तस्वीर, माता की लाल चुनरी, आम की पाँच पत्तियां, चावल, दुर्गा सप्तदशी की किताब, लाल कलावा, गंगा जल, चंदन, कपूर, नारियल, मिट्टी का बर्तन, जौ के बीज, लौंग का जोड़ा, गुलाल, पान के पत्ते, सुपारी, इलायची, रोली और मोली आदि।
नवरात्रि पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।
- इसके बाद घर की सफाई करें और अपना पूजा स्थल तैयार करें।
- पूजा स्थल पर सबसे पहले एक लाल कपड़ा बिछाएं और अब यहां पूजा का सारा सामान रखें।
- अब पूजा की थाली सजाएं।
- माँ दुर्गा की प्रतिमा को कपड़े पहनाएं और उसे यहां रखें।
- मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोयें और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें
- अब पूरे विधि विधान के साथ शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें। कलश में आम की पत्त्यिां रखें। कलश को लाल कपड़े से लपेंटे और कलावा के माध्यम से उसे बाँधें। अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें
- अगरबत्ती, दीया और कपूर जलाकर पूजा करें।
- अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोज कराएं और उन्हें दक्षिणा बांटें।
- आखिरी दिन दुर्गा पूजा के बाद घट विसर्जन करें।
इस दिन इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- इस दिन घर में किसी बात को लेकर लड़ाई झगड़े या कलेश नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से घर का माहौल नकारात्मक होता है।
- घर में सिर्फ मीठे पकवान बनाएं। यदि कोई मसालेदार खाना बनाना है तो उसमें लहसुन, प्याज आदि से परहेज रखें।
- मीट, मुर्गाा, मदिरापान और धम्रपान से जितना हो नौ दिन दूर ही रहें।
- यदि आप संपन्न हैं तो नवें दिन भंडारा कराएं और सभी गरीबों को भरपेट भोजन कराएं।
उम्मीद है कि नवरात्रि पर हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी। आपको नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।