मनोज रमोला ने एक्टिंग में करियर बनाने के लिए उत्सुक लोगों के लिए एक किताब लिखी है, जिसका नाम है 'ऑडिशन रूम'। इस किताब में वो सब बातें लिखी हैं जो आपको ऑडिशन में सफल कर सकती हैं। तो जानते हैं कास्टिंग की दुनिया की कहानी मनोज रमोला की ज़ुबानी।
1. आपकी किताब ऑडिशन के लिए किस तरह लोगों के लिए फ़ायदेमंद है?
सबसे बड़ी दिक्क़त यह है कि अधिकतर लोगों को ऑडिशन के बारे में जानकारी है ही नहीं, यह किताब उन लोगों के लिए बेहद ही कारगर साबित होगी। कुछ नए कलाकार ऐसे होते हैं जो शुरूआत में ही हतोत्साहित हो जाते हैं और अपने भाग्य को कोसने लगते हैं। मेरा मानना है कि यदि लोगों के पास पूरी जानकारी हो तो उनके रास्ते में कहीं भी रोड़ा नहीं आने वाला है।
2. नए कलाकार के लिए सबसे बड़ी बाधा क्या है?
सबसे बड़ी जो समस्या है, वह यह कि लोगों के पास अपर्याप्त जानकारी है। जो लोग भी ऑडिशन के लिए आते हैं उन्हें इसके बारे में सटीक जानकारी ही नहीं रहती है और जो लोग उनका मार्गदर्शन करते हैं वे ख़ुद इस क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले नहीं होते हैं, इसलिए यह जानना ज़रूरी है कि अभिनय के क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए कौन लोग आपका उचित मार्गदर्शन कर सकते हैं।
3. आप ऑडिशन को किस प्रकार परिभाषित करेंगे?
पहली बात यह है कि हमें समझना होगा कि ऑडिशन रूम होता क्यों है। दूसरी बात यह है कि अच्छा और बुरा कोई ऑडिशन नहीं होता है। यदि आप एक कलाकार हैं, तो आपके अंदर प्रतिभा होनी ही चाहिए। ऑडिशन रूम में जब भी जाएँ पूरी तैयारी के साथ जाएँ और धैर्य के साथ अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करें। कास्टिंग डायरेक्टर की बातों को ध्यानपूर्वक सुनें और यह समझने की कोशिश करें कि वह आपसे क्या उम्मीद कर रहा है।
4. एक नए कलाकार के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ क्या है?
आपको किसी के भी सुझाव पर कुछ भी करने के लिए तैयार नहीं होना है। अधिकतर लोग काम की बातों के बजाय बेकार की बातों और कामों में अपना समय बर्बाद करते हैं। ज़ेहन में रखने वाली बात यह है कि ऑडिशन ही आपको सफलता दिलाने वाला है, इसलिए इसकी तैयारी में किसी प्रकार की कोताही न करें।
5. जब आपने इस किताब को लिखना शुरू किया, तो उस समय इसे लेकर आपका सबसे बड़ा मक़सद क्या था?
मैं 2008 में मुम्बई आया, उस समय मैं ख़ुद को यहाँ के माहौल में ढ़ालने की कोशिश कर रहा था। उसी समय मुझे एक मार्गदर्शक की कमी महसूस हुई। बाद में मैंने जब लोगों का ऑडिशन लेना शुरू किया उस समय मुझे लोगों के अजीबो-ग़रीब सवालों का सामना करना पड़ा। इस दौरान मुझे आभास हुआ कि लोगों में संवादहीनता बहुत ज़्यादा है। यह वही कारण था जिसकी वजह से मैं 2012 में इस किताब को लिखने पर मजबूर हुआ। यह बॉलीवुड में इस तरह की पहली किताब है। मुझे उम्मीद है कि इस किताब को पढ़ने के बाद लोग अनाप-सनाप सवाल नहीं पूछेंगे।
6. जब भी कोई आदमी एक्टिंग के बारे में सोचता है तो सबसे पहले उसके दिमाग में “कास्टिंग काउच” का ख़्याल आता है। इसके बारे में आपकी क्या राय है?
पहली बात तो यह कि 90% लोग कास्टिंग के बारे में जानते ही नहीं हैं। यहाँ तक कि बॉलीवुड के भी कई लोगों को इसके बारे में कुछ ख़ास जानकारी नहीं है। यदि आप यह कहते हैं कि किसी के साथ शोषण हुआ है, तो उसे हम “कास्टिंग काउच” कहते हैं। हम पर इसे थोप दिया गया है। कास्टिंग के बाहर के लोग ही शोषण करते हैं, कास्टिंग वालों के पास इस तरह के कामों के लिए समय नहीं होता है।
7. इस किताब के लिखने के बाद बॉलीवुड और ऑडिशन में आप किस तरह के बदलाव की उम्मीद करते हैं?
मैं आशा करता हूँ कि लोग चीज़ों को अच्छी तरह से समझेंगे। मैं एक कलाकार और फ़िल्मेकर के बीच सीढ़ी की तरह हूँ। मैं मानता हूँ कि वास्तव में कुछ ऐसे कलाकार भी होते हैं जो ऑडिशन की तकनीक की जानकारी नहीं होने की वजह से फ़ेल हो जाते हैं। एक अच्छा कलाकार बनने के लिए सुंदर दिखना ज़रूरी नहीं है। जब मैं ऑडिशन लेने जाता हूँ, तो लोग काम देने की गारंटी मांगते हैं जो कि मैं कभी भी नहीं दे सकता। इसलिए मैं बदले में किसी चीज़ की इच्छा भी नहीं रख सकता। यदि आप क़ाबिल हैं तो आपका चयन ज़रूर होगा। अगर ये सभी बातें लोग समझेंगे तो सच्ची प्रतिभा सामने ज़रूर आएगी।
8. अपनी किताब के बारे में आप लोगों से क्या कहना चाहेंगे?
आप किताब को पढ़ें और सच्चाई को जानें। जो लोग इस पेशे में आना चाहते हैं वे लोग बिना सच्चाई जानें कुछ भी निर्णय न लें। फ़ैसला आपके हाथ में है। यह किताब आपको सही रास्ते पर ले जाने में मदद करेगी। इस किताब में मैंने वे सभी जानकारियाँ दी हैं जो आपके लिए ज़रूरी हैं, अब यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप इसका कितना फ़ायदा उठाते हैं।
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