5 जून 2011
नई दिल्ली। बाबा रामदेव का अनशन तुड़वाने के लिए आधी रात को की गई पुलिस कार्रवाई को बाबा के समर्थकों ने ब्रिटेश शासन के समय हुए जलियावालां बाग कांड जैसा करार दिया है।
भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ बाबा रामदेव के आंदोलन में शामिल एक समर्थक हरिओम सरफारा ने कहा, "जो कुछ हुआ वो जलियावालां बाग कांड जैसा है। उस समय यह ब्रिटिश शासकों द्वारा किया गया था और आज हमारे अपने लोगों ने किया।"
शनिवार को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे बाबा रामदेव को पुलिस रविवार तड़के धरना स्थल से ले गई। पुलिस का कहना है कि उसने बाबा को केवल योग शिविर की अनुमति दी थी और विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई थी। पुलिस ने लोगों को अनशन स्थल से हटाने के लिए लाठी चार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े।
पुलिस की इस कार्रवाई की तुलना ब्रिटिश शासन के समय हुए जलियावालां बाग कांड से की जा रही है। वर्ष 1919 में हुए इस हत्याकांड में महिलाओं, बच्चों और निहत्थे लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई गईं थीं।
रामलीला मैदान को पूरी तरह से खाली करवाकर यहां निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और पंडाल उखाड़ दिया गया है।
बाबा के समर्थकों ने नई दिल्ली के जंतर मंतर पर आंदोलन करने की योजना बनाई है।
बाबा के एक अन्य समर्थक मुम्बई से आए सुरेश ने कहा, "हम पहले बंगला साहब गुरुद्वारा जाएंगे और इसके बाद जंतर मंतर पहुंचेंगे।"
एक अधिकारी ने कहा कि करीब 30 लोगों को हल्की चोटें आई हैं और इन्हें अस्पताल ले जाया गया है।
जम्मू से आए एक समर्थक ने कहा, "आंसू गैस के गोले छोड़े गए, पुलिस ने हमें लाठियों से पीटा, महिलाओं और बच्चों को भी नहीं छोड़ा। वहां महिलाएं और बच्चे थे, आखिर आंसू गैस छोड़ने की क्या जरूरत थी।"
उन्होंने कहा, "मैं यहां 25 लोगों के साथ आया था अब हमारे साथ केवल दो लोग बचे हैं।"
प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि समर्थकों को जबरन गाड़ियों में भरा गया। एक समर्थक कुलदीप भार्गव ने कहा, "उन्होंने लोगों को गाड़ियों और एम्बुलेंस में भर दिया, उनमें से कई लोग घायल थे। मुझे लगा उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा है लेकिन पता नहीं वह लोग कहां गए। बच्चों, युवाओं और महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया और उन्हें पुआल की तरह गाड़ियों में भर दिया गया।"
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