शीरीं
मैं भी खयालों में डूबते-उतराने बस में बैठ गयी. सोचती रही यह संसार दो चीजों से चलता है- उत्पादन और पुनरुत्पादन... दोनों पर औरतों को कोई अधिकार नहीं पुनरुत्पादन पर औरतों के कब्जे के लिए उत्पादन पर सर्वहारा के, कब्जा होने तक इन्तजार करना है. तब तक न जाने कितनी औरतों को कितना खून बह जाएगा और यह ‘शहादत’ किसी काम की नहीं...
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विख्यात साहित्यिक पत्रिका कथादेश पहली बार इंटरनेट पर। पढ़िए दिसम्बर २००९ का अंक।
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हिन्दी पत्रिका कथादेश : मीडिया विशेषांक (अगस्त २००९) पाठकों की मांग पर पुन: पेश है-
मनोज कुमार श्रीवास्तव
(भारत भवन, भोपाल में लघु पत्रिकाओं से सम्बन्धित तीन दिवसीय परिसंवाद (12, 13 और 14 जून 2009) में संस्कृति सचिव मनोज कुमार श्रीवास्तव द्वारा दिये गये स्वागत एवं समापन भाषण)
अनामिका
अपने दुख मुझको ई-मेल करो, एक बड़ा सम्मिलित आवेदन लेकर हम जाएंगे ईश्वर के दफ्तर“, उन्होंने कहा. हम उन्हें घेर बैठे गए.
रवीन्द्र त्रिपाठी
भाई और कवि बद्रीनारायण, ‘कथादेश’ के जुलाई अंक में तुम्हारा लेख ‘साहित्यिक दुनिया का वर्तमान’ देखा और पढ़ा, जो साहित्यिक संसार के शक्ति-केंद्रों पर लिखा गया है. बेशक लेख में जताई गई चिंताएं वास्तविक हैं और बहस तलब भी
नोम चोम्स्की
मैं मीडिया के बारे में इसलिए लिख रहा हूँ, क्योंकि संपूर्ण बुद्धिजीवी संस्कृति में मेरी रुचि है और चूँकि मैं इसका एक हिस्सा भी रहा हूँ, इसलिए मीडिया के बारे में अध्ययन करना मेरे लिए आसान है
डॉ. ज्ञान पाठक
पत्रकारिता का अस्तित्व में आना ही तब संभव हुआ जब सूचनाओं के व्यक्तिगत संप्रेषण को सार्वजनिक करने की जरूरत महसूस हुई. इसके लिए अनेक माध्यमों का सहारा लिया गया और सूचनाओं को अनेकानेक तरीकों से प्रस्तुत किया गया. लेकिन जूलियस सीजर के एक्टा डायना के ईसा पूर्व 59 में प्रकाशित और प्रसारित दुनिया के पहले दैनिक समाचार बुलेटिन के बाद लगभग 1500 वर्षों तक कोई खास प्रगति नहीं हुई
प्रस्तुति: विश्वनाथ त्रिपाठी
‘विशाल भारत’ के जनवरी 1928 के अंक में एक रपट छपी है. रपट के लिखने वाले पंडित सुन्दरलाल थे. उन्होंने लिखा है कि लोकमान्य तिलक की जेल की सजा के विरोध में एक सभा की गई. वक्ता दो थे.
आनन्द स्वरूप वर्मा
अभी 5 सितंबर को आईबीएन-7 चैनल ने नेपाल पर तकरीबन आधा घंटे की एक रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि नेपाल के माओवादी भारत पर हमले की तैयारी में लगे हुए हैं और इस बात के लिए भारत सरकार को लताड़ा गया था कि वह कितनी लापरवाह है
Know when the festival of colors, Holi, is being observed in 2020 and read its mythological significance. Find out Holi puja muhurat and rituals to follow.
मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।