9 अक्टूबर 2012
मुम्बई। फिल्म निर्देशक कुंदन शाह हास्य फिल्म 'जाने भी दो यारो' के 30 वर्षों बाद दोबारा से प्रदर्शित होने को लेकर खासे उत्साहित हैं और उन्होंने इसे एक एतिहासिक क्षण बताया है।
उन्होंने बताया, "मैं इस बात से खुश हूं कि फिल्म दोबारा से प्रदर्शित हो रही है। हमने फिल्म छोटे बजट में बनाई थी और यह अच्छी चली थी। बहुत अच्छा महसूस हो रहा है।"
यह हास्य फिल्म दो नवम्बर को दोबारा से प्रदर्शित होगी और शाह ने कहा, "मेरे लिए 'जाने भी दो यारो' का दोबारा से प्रदर्शित होना एक एतिहासिक क्षण है। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस फिल्म को बने 30 वर्ष हो चुके हैं और अब यह दोबारा से प्रदर्शित हो रही है।"
पीवीआर निर्देशक और एनएफडीसी (नेशनल फिल्म डिवेलप्मेंट कॉर्पोरेशन) मिलकर 'जाने भी दो यारो' के डिजिटल संस्करण को पूरे देश में केवल पीवीआर सिनेमाघरों में प्रदर्शित कर रहे हैं।
फिल्म दो साधारण और ईमानदार फोटोग्राफरों के इर्द-गिर्द घूमती है। फोटोग्राफरों की भूमिका नसीरुद्दीन शाह और रवि वासवानी ने निभाई है। दोनों एक कत्ल के चश्मदीद गवाह होते हैं, जो भ्रष्ट रियल एस्टेट सर्कल में फंस जाते है। फिल्म में व्यावस्था में फैले भ्रष्टाचार को दिखाया गया है।
'जाने भी दो यारो' वर्ष 1983 में बनी थी। वैसे बॉलीवुड में फिल्म के सिक्वे ल की चर्चाएं भी हो रही है।
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