कबियन की वार्ता
बिहार के उत्साही साहित्यकारों ने प्रेमचंद को अपने यहाँ भाषण देने के लिए निमंत्रित किया. प्रेमचंद ने निमंत्रित करने वाले साहित्यकारों को ट्रेन से आने की तिथि और समय की सूचना दे दी. निश्चित यह हुआ कि स्टेशन पर कोई व्यक्ति प्रेमचंद का स्वागत करने के लिए पहुँचेगा और उन्हें अपने साथ ठहरने की जगह पर ले आएगा.
उस समय पत्रिकाओं में इतने ज्यादा फोटो नहीं छपते थे और स्टेशन पर प्रेमचंद का स्वागत करने वाला साहित्यकार उन्हें नहीं पहचानता था. प्रेमचंद वहाँ पहुँचे. स्वागत करने वाला साहित्यकार ट्रेन के सभी डिब्बों में ढूँढकर और प्लेटफार्म पर प्रेमचंद को खोजने में असफल होकर लौट आया. मान लिया गया कि प्रेमचंद आये ही नहीं.
कुछ देर के बाद इक्के पर सवार प्रेमचंद मेजबान के घर पहुँचे. जब स्थिति बताई गई तो प्रेमचंद ने झल्लाकर कहा- ‘‘अरे भाई पहचानते नहीं थे तो ‘कोई प्रेमचंद है’ या ‘प्रेमचंद कौन है’, कहकर जोर-जोर से पुकार लेते तो मैं मिल जाता. और यह नौबत न आती.’’
यही स्थिति प्रेमचंद के साथ 1936 में हुई थी. जब वे प्रगतिशील लेखक संघ के सम्मेलन में अध्यक्षीय भाषण देने के लिए लखनऊ निमंत्रित किये गये. प्लेटफार्म पर स्वागतकर्ताओं को वे नहीं मिले थे. बाद में इक्के पर सवार आतिथेय के घर प्रकट हुए थे.
©
- बी-5/ एफ-2 दिलशाद गार्डन, दिल्ली-95
Know when the festival of colors, Holi, is being observed in 2020 and read its mythological significance. Find out Holi puja muhurat and rituals to follow.
मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।