पुनीत पांडे
भाव
थोडी देर के लिए सारे अंको और ग्रहों के नाम भूल जाते हैं। हमें कुण्डली में बारह खाने दिखेंगे, जिसमें से आठ त्रिकोणाकार एवं चार आयताकार हैं। चार आयतों में से सबसे ऊपर वाला आयत लग्न या प्रथम भाव कहलाता है। उदाहरण कुण्डली में इसमें रंग भरा गया है। लग्न की स्थिति कुण्डली में सदैव निश्चित है। लग्न से एन्टी क्लॉक वाइज जब गिनना शुरू करें जो अगला खाना द्वितीय भाव कहलाजा है। उससे अगला खाना तृतीय भाव कहलाता है और इसी तरह आगे की गिनती करते हैं। साधारण बोलचाल में भाव को घर या खाना भी कह देते हैं। अ्ंग्रेजी में भाव को हाउस (house) एवं लग्न को असेन्डेन्ट (ascendant) कहते हैं।
भावेश
कुण्डली में जो अंक लिखे हैं वो राशि बताते हैं। उदाहरण कुण्डली में लग्न के अन्दर 11 नम्बर लिखा है अत: कहा जा सकता है की लग्न या प्रथम भाव में ग्यारह अर्थात कुम्भ राशि पड़ी है। इसी तरह द्वितीय भाव में बारहवीं अर्थात मीन राशि पड़ी है। हम पहले से ही जानते हैं कि कुम्भ का स्वामी ग्रह शनि एवं मीन का स्वामी ग्रह गुरु है। अत: ज्योतिषीय भाषा में हम कहेंगे कि प्रभम भाव का स्वामी शनि है (क्योंकि पहले घर में 11 लिखा हुआ है)। भाव के स्वामी को भावेश भी कहते हैं।
प्रथम भाव के स्वामी को प्रथमेश या लग्नेश भी कहते हैं। इसी प्रकार द्वितीय भाव के स्वामी को द्वितीयेश, तृतीय भाव के स्वामी को तृतीयेश इत्यादि कहते हैं।
ग्रहों की भावगत स्थिति
उदाहरण कुण्डली में उपर वाले आयत से एन्टी क्लॉक वाइज गिने तो शुक्र एवं राहु वाले खाने तक पहुंचने तक हम पांच गिन लेंगे। अत: हम कहेंगे की राहु एवं शुक्र पांचवे भाव में स्थित हैं। इसी प्रकार चंद्र एवं मंगल छठे, शनि - सूर्य-बुध सातवें, और गुरु-केतु ग्यारवें भाव में स्थित हैं। यही ग्रहो की भाव स्थिति है।
ग्रहों की राशिगत स्थिति
ग्रहों की राशिगत स्थिति जानना आसान है। जिस ग्रह के खाने में जो अंक लिखा होता है, वही उसकी राशिगत स्थिति होती है। उदाहरण कुण्डली में शुक्र एवं राहु के आगे 3 लिखा है अत: शुक्र एवं राहु 3 अर्थात मिथुन राशि में स्थित हैं। इसी प्रकार च्रद्र एवं मंगल के आगे चार लिखा है अत: वे कर्क राशि में स्थित हैं जो कि राशिचक्र की चौथी राशि है।
Know when the festival of colors, Holi, is being observed in 2020 and read its mythological significance. Find out Holi puja muhurat and rituals to follow.
मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।