22 जून 2012
मुम्बई । महाराष्ट्र के सचिवालय (महाराष्ट्र मंत्रालय) में दोपहर को भड़की आग में 5 लोगों की मौत हो गई जबकि 16 अन्य घायल हुए। अभी तक आग को पूरी तरह से बुझाया नहीं जा सका है। गुरुवार को दोपहर 2.15 बजे सात मंजिली इस इमारत की चौथी मंजिल में आग लग गई।
बचाव दल ने छठी मंजिल पर स्थित उप मुख्यमंत्री अजित पवार के कार्यालय के बाहर दो जला हुआ शव बरामद किया। सात मंजिला इस इमारत की चार मंजिल अग्निकांड की चपेट में आ गई थीं। अग्निशमनकर्मियों ने आग की लपटों पर काबू पा लिया है लेकिन अभी भी इसे पूरी तरह से बुझाया नहीं जा सका है।
अग्निशमन विभाग के अधिकारी ने बताया, "दो पुरुषों के जले हुए शव छठी मंजिल पर कार्यालय के बाहर मिले हैं।"
मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इससे पहले कहा था कि आग पर काबू पा लिया गया है और अपराध शाखा द्वारा घटना के जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
चव्हाण ने शाम को मंत्रियों के साथ आपात बैठक कर सामान्य कामकाज जारी रखने पर विचार किया।
मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से कहा, "जांच के आदेश दे दिए गए हैं। अपराध शाखा इस मामले की जांच करेगा। आग चौथी मंजिल के कमरा संख्या 411 से शुरू हुई।"
राहत एवं पुनर्वास सचिव प्रवीन परदेशी ने कहा कि इमारत में फंसे सभी 65 लोगों को बाहर निकाल लिया गया है। उन्होंने कहा, "अंदर कोई भी नहीं है। 16 घायलों में एक को छोड़कर सभी की हालत स्थिर है।"
आग लगने के बाद राज्य के जनजातीय कल्याण मंत्री बब्बनराव पचपुते उन लोगों में से थे जिन्होंने आग बुझाने का प्रयास किया। गुरुवार को सात मंजिला इमारत के ऊपरी तीन मंजिल में आग लग गई थी।
पचपुते ने पत्रकारों से कहा, "मैं अपने कक्ष में काम कर रहा था। अचानक मैंने एक विस्फोट की आवाज सुनी और देखा धुआं बाहर आ रहा है।" मंत्री का कार्यालय चौथी मंजिल पर है।
पचपुते ने कहा कि वह इसे मामूली आग मान कर अग्निशामक यंत्रों की सहायता काबू पाने की कोशिश करने लगे, लेकिन धुआं ज्यादा निकलने पर अलार्म बजाया।
राज्य के मुख्य सचिव जे.के. बैंठिया ने दोपहर को एक संवाददाता सम्मेलन कहा था कि सात मंजिला इमारत में फंसे कर्मचारियों को बाहर निकाल लिया गया।
संवाददाता सम्मेलन में कुछ मंत्री भी उपस्थित थे। उस वक्त यहां हंगामेदार स्थिति उत्पन्न हो गई जब कुछ पत्रकारों एवं सचिवालय के कर्मचारियों ने मंत्रियों से जानना चाहा कि उच्च सुरक्षा वाले परिसर में आखिर आग इतनी तेजी से कैसे फैली?
मुख्यमंत्री का कार्यालय भी आग की चपेट में था।
बचाव कार्य में नौसेना का भी सहारा लिया गया। मुम्बई पुलिस एवं अग्निशमन विभाग की देखरेख में नौसेना कमांडो बचाव कार्य में लगे थे।
अधिकारियों ने बताया कि इस अग्निकांड से बड़ी संख्या में महत्वपूर्ण कागजात खाक हो गए।
एक व्यक्ति ने कहा, "मैं पानी की पाइप से नीचे उतरा। कई अन्य लोगों ने भी पाइपों एवं बिजली के मोटे तारों की सहायता से अपनी जान बचाई है।"
आग लगने के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है।
मंत्रालय कर्मियों की यूनियन के नेता आर.जी. कार्णिक ने बताया कि इस इमारत में करीब 3,000 लोग कम करते थे और यहां हर रोज लगभग इतनी ही संख्या में आगंतुक पहुंचते थे।
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