मीडिया के लिए हॉट केक: बिहार
भूमण्डलीकरण और उदारवाद के बढ़ते दौर में पत्रा व पत्राकारिता का व्यावसायिक नजरिया और ट्रेंड दोनों ही बदल गया है. झोला और दाढ़ी छाप वाले पत्राकारों की जगह आधुनिक सुविधा से लैस पत्राकारों ने ले ली है. वहीं अखबारों में भी बढ़ती व्यावसायिक स्पर्धा के कारण पाठकों को रिझाने के लिए चटपटी और मसालेदार खबरों को तरजीह दी जा रही है. यही वजह है कि राष्ट्रीय और बिहार के अखबारों में अपराध, सेक्स आदि की खबरें अधिक मात्रा में छप रही हैं. जहां तक विकासमूलक खबर की बात है तो उससे अखबारों को कोई लेना देना नहीं रह गया है. बिहार की जो तस्वीर है वह मीडिया में ठीक से नहीं आ रही है, और जो खबरें आ रही हैं. उसमें बाजारवाद की बू आती है.