27 अगस्त 2011
नई दिल्ली। लोकसभा में सदन के नेता प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को लोकपाल के मसले पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र आज चौराहे पर खड़ा है।
उन्होंने सदन से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी लोकपाल के मुद्दे पर संवैधानिक दायरे में रहते हुए व्यावहारिक और निष्पक्ष चर्चा करने की अपील की।
शनिवार को ऐतिहासिक विशेष सत्र में चर्चा की शुरुआत करते हुए मुखर्जी ने कहा कि अनशन पर बैठे अन्ना हजारे द्वारा उठाए गए मुद्दे काफी महत्वपूर्ण हैं और संसद का ध्यान चाहते हैं।
उन्होंने आशा जताई कि अन्ना हजारे द्वारा प्रस्तावित जन लोकपाल विधेयक के मुद्दों पर सदन में एक राय बन सकेगी ताकि सरकारी लोकपाल विधेयक पर विचार कर रही स्थाई को सदन की भावना से अवगत कराया जा सके।
मुखर्जी ने कहा, "स्थाई समिति इन सुझावों की संवैधानिकता, व्यावहारिकता और क्रियान्वित किए जा सकने की सम्भावना पर विचार कर सकती है।"
उन्होंने कहा, "हम चौराहे पर खड़े हैं। ऐसे कम मौके आते हैं जब सदन की कार्यवाही पर न केवल देश बल्कि सम्भवत: विदेशों में भी नजर रखी जा रही होती है।"
उन्होंने कहा कि वह संसद की सर्वोच्चता से समझौता किए बिना और संविधान के दायरे में एक तथ्यपरक चर्चा की आशा करते हैं ताकि वर्तमान गतिरोध को खत्म किया जा सके।
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