Guest Corner RSS Feed
Subscribe Magazine on email:    

पेट्रोल पर सरकार के पक्ष में(व्यंग्य)

satire on petrol by piyush pandey

कपिल सिब्बल ठीक कहते हैं कि फेसबुक और ट्विटर-फ्यूटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों को सरकार के नियंत्रण में होना चाहिए। आखिर यहां जिसे देखो सरकार को गरियाने, लतियाने, जुतियाने और सुतियाने में लगा रहता है। पेट्रोल की कीमतों पर उठे बवाल को लीजिए। सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इस मसले पर सरकार और सरकार के मंत्रियों-संत्रियों की हालत भीड़ में पिटते निरीह बंदे की तरह है। कोई सीकड़ी मच्छर टाइप दो हड्डी वाला कंकाल बेचने वाली दुकान का मॉडल सरीखा बंदा भी भीड़ में शामिल होकर जैसे पिटते हुए शख्स पर हाथ साफ करता है, वैसे ही फेसबुक-ट्विटर वगैरह पर लोग कीमतों पर सरकार की ऐसी तैसी कर रहे हैं। मतलब, जो बंदे आजीवन दूसरे की गाड़ी में सवार होकर निशुल्क दफ्तर जाने को अपना कर्तव्य समझते आए हैं, वे भी पेट्रोल की बढ़ी कीमतों पर यहां स्यापा कर रहे हैं।

ग़लती सरकार की भी है। किसी मुद्दे पर बवाल हो तो सरकारी बंदे सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर कछुए की तरह खोपड़ी छिपा लेते हैं। इस बार बवाल ज्यादा बड़ा हो गया क्योंकि पेट्रोल की कीमतें झटके में साढ़े सात रुपए बढ़ा दी गईं। अब महान और यादगार काम रोज़-रोज तो न होते साहब। एक-दो रुपए बढ़ाए होते तो कौन याद रखता। इस बार ऐतिहासिक हो गई तारीख।

विपक्षी पार्टियों ने विरोध-प्रदर्शन का खेल शुरु कर दिया है। हालांकि, पेट्रोल की आग में स्वाहा होने से पहले कार्यकर्ता मारक गर्मी में भस्म होने से सहमे हुए हैं। प्रदर्शनों का नतीजा कुछ भी निकले, अपनी सेहत पर फर्क नहीं। हम पाँच साल पहले भी बाइक में हर हफ्ते 100 रुपए का पेट्रोल भरवाते थे, आज भी 100 का ही भरवाते हैं। प्रणव बाबू राज्यों की अलग अलग बजट डिमांड जैसे नहीं मानते, वैसे ही कभी पत्नी ने ‘पेट्रोल बजट’ 100 रुपए से ज्यादा स्वीकृत नहीं किया।

अपनी चिंता है कि भोली जनता अब पॉजिटिव चीजों को भी निगेटिवली लेने लगी है। सरकार की तरफ से भोली जनता को समझाने कोई आता नहीं। मैं पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के पक्ष में 1001 तर्कों के साथ तैयार हूं। चंद मिसाल पेश हैं- 

एसी कमरे में बैठे बैठे बाहर की मारक किस्म की गर्मी से त्रस्त मंत्री-संत्री जानते हैं कि देश को ‘इको फ्रेंडली’ होने की सख्त ज़रुरत है।

सरकार चाहती है कि लोग गाड़ियां घर रखें और साइकिल चलाएं। साइकिल ज्यादा बिकें। लोगों की सेहत बने। मुलायम सिंह के यूपीए के साथ आने के बाद सरकार साइकिल के प्रति ज्यादा सेंसटिव है।

समाजवाद की तरफ लौटने का इशारा है यह कदम। गाड़ी भले खूब बड़ी धर लो घर में लेकिन औकात नहीं पेट्रोल डलवाने की तो चलो बेट्टे तुम भी आम आदमी के साथ बस-वस, ऑटो-टैंपू में। बंदा समझ लेगा लू लपट में जीने वाले का दर्द।

बाजार में पेट्रोल मग या पेट्रोल टिन के रुप में गिफ्ट पैक की नयी संभावनाओं के द्वार भी सरकार ने खोले हैं। आशिक अपनी महबूबाओं को पेट्रोल मग गिफ्ट करेंगे तो कन्या का पूरा परिवार खुशी में झूम उठेगा। लड़के की साख बढ़ेगी।

दहेज के वक्त लक्जरी आइटम के रुप में भी पेट्रोल की संभावनाएं बनी हैं। फायदा यह होगा कि दहेज में आया पेट्रोल शादी के एक-दो साल मुहब्बत वाले पीरियड में खत्म हो लेगा। इसके बाद बवाल होता है तो ‘दहेज वापस दो’ टाइप झंझट नहीं।

सरकार ने घोड़ा एसोसिएशन को भी सपोर्ट किया है। उनका कहना था कि देश में घोड़ों का कोई मां-बाप नहीं है और वे सिर्फ शादी-ब्याह की जरुरत रह गए हैं।

मोटर गाड़ियों ने ताँगे खत्म कर दिए। बसंती टाइप की जुझारु लड़कियां भी ताँगे के साथ खत्म हो लीं। अब धन्नो और बसंती दोनों सड़कों पर दिखायी दे सकते हैं। यानी बढ़ी कीमतों का एक सिरा महिला सशक्तिकरण से जुड़ता है।

इत्ते शानदार तर्कों को पढ़ने के बाद शायद सरकार के किसी मंत्री का कोई मेल आ गया हो। चलूं देखूं। माल मिले तो फेसबुक-ट्विटर-फ्यूटर हर जगह सरकार का गुणगान करुंगा। आखिर मेरा भी अपनी बाइक की टंकी फुल कराने का एक विराट सपना है।

More from: GuestCorner
30951

ज्योतिष लेख

मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।

Holi 2020 (होली 2020) दिनांक और शुभ मुहूर्त तुला राशिफल 2020 - Tula Rashifal 2020 | तुला राशि 2020 सिंह राशिफल 2020 - Singh Rashifal 2020 | Singh Rashi 2020