Jyotish RSS Feed
Subscribe Magazine on email:    

तारे बनाते हैं बॉलीवुड में सितारा !

star makes bollywood star


वीजीआर पवन

हज़ारों नौजवान रोजाना एक ख्वाब लिए मुंबई पहुंचते हैं। ख्वाब-फिल्मों में काम करने का। लेकिन, सफलता सभी को नहीं मिलती। रुपहले पर्दे पर अपनी छाप तो इक्का दुक्का नौजवान ही छोड़ पाते हैं, कुछ छोटी-मोटी भूमिकाएं पाकर खुद को निहाल समझते हैं,जबकि हजारों लोग पूरी जिंदगी संघर्ष करते रह जाते हैं,क्योंकि तमाम प्रतिभा के बावजूद उन्हें मौका ही नहीं मिलता।


दरअसल, इस प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में अभिनेता या अभिनेत्री के तौर पर अपना भविष्य बनाना आसान काम नहीं है। इस क्षेत्र में सफलता पाने के लिए व्यक्ति की कुण्डली में प्रबल योग होने चाहिए, नहीं तो महज़ पैसे, कोशिश और वक़्त की बर्बादी होती तथा कुछ हासिल नहीं होता।


सवाल यह कि फ़िल्म जगत में करियर बनाने के लिए किन ज्योतिषीय कारकों की आवश्यकता होती है?


वैदिक ज्योतिष के मुताबिक़ प्रबल शुक्र, गुरू, सूर्य और 5वाँ भाव इस क्षेत्र में सफलता देते हैं। शुक्र अभिनय व कला आदि को दर्शाता है, गुरू भाग्य और समृद्धि को इंगित करता है, सूर्य यश तथा लोकप्रियता की ओर संकेत करता है और मज़बूत पाँचवाँ भाव मनोरंजन, नाट्य और अभिनय आदि में सफलता को दिखलाता है।


कृष्णमूर्ति पद्धति के अनुसार पाँचवें भाव का सब-लॉर्ड अगर 2, 6, 10, 11 के कारक ग्रहों के नक्षत्र में हो, तो जातक को इस क्षेत्र में क़ामयाबी हासिल होती है। कारक शुक्र का संबंध योग को और सुस्पष्ट व प्रबल कर देता है।


दूसरा भाव : पाँचवें भाव के माध्यम से आय के लिए। हर व्यक्ति आय के लिए ही कार्य करता है।


छठवाँ भाव : पाँचवें भाव के लिए प्रयास करना महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में सफलता के लिए कड़ा परिश्रम ज़रूरी है।


दसवाँ भाव: ख्याति और प्रतिष्ठा, जो इस क्षेत्र में प्रयासों का परिणाम है।


ग्यारहवाँ भाव : यह जानने के लिए कि क्या परिणाम उम्मीदों के मुताबिक़ हैं या नहीं?


अनुभव के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पाँचवें भाव से अन्य सभी भावों का संबंध फ़िल्म उद्योग में करियर का प्रबल कारक है। उदाहरण के लिए अगर पाँचवें का सब-लॉर्ड २, ६, १० व ११ भावों से जुड़ा है और फ़िल्म उद्योग की ओर संकेत करता है; ऐसे में यदि १०वें भाव का सब-लॉर्ड भी २, ६, ११ से संबंधित हो, तो इस क्षेत्र में करियर बनना लगभग तय है। एक-दूसरे के साथ यह जुड़ाव महत्वपूर्ण है, नहीं तो फ़िल्म क्षेत्र में हज़ारों अभिनेता और अभिनेत्रियाँ होते।


ये सभी परिणाम पूरी तरह 2, 5, 6, 10, 11 के कारकों की संयुक्त दशा में मिलेंगे।


उपर्युक्त नियम “प्रश्न ज्योतिष” में भी पूर्णतः सटीक बैठते हैं।


हम इस क्षेत्र में काम का प्रकार ग्रहों के आधार पर वर्गीकृत कर सकते हैं:


सूर्य : निर्माता, सबका प्रमुख, जिसके बिना फ़िल्म बनना पूरी तरह नामुमकिन है।


चन्द्र : भाव-भंगिमाओं, जज़्बात और भावनात्मकता आदि के लिए, बच्चों की फ़िल्में, ट्रेजेडी फ़िल्में (चन्द्र-शनि), संदेश देने वाली फ़िल्में (क्योंकि चन्द्रमा आम लोगों को इंगित करता है)।


मंगल : नायक, कहा भी जाता है कि मंगल किसी भय को नहीं जानता और इसलिए जातक में मंच और कैमरे आदि का भय नहीं होगा। नायक और लड़ाई आदि के दृश्य मंगल दर्शाता है। साथ ही यह हास्य कलाकार और लघु फ़िल्में भी इंगित करता है।


बृहस्पति : ज़्यादातर निर्देशक, दूसरों के साथ मिलकर वह फ़िल्में बनाता है।


सूर्य-गुरू – देशभक्ति की फ़िल्में, चन्द्रमा-गुरू – बाल फ़िल्में / संदेशप्रधान फ़िल्में, मंगल-गुरू – मार-धाड़ वाली फ़िल्में, बुध-गुरू – हास्य फ़िल्में, शुक्र-गुरू – प्रेम कहानियाँ / संगीत-प्रधान फ़िल्में, शनि-गुरू – करुणाप्रधान, ऐतिहासि या पौराणिक विषयों पर आधारित फ़िल्में, राहु-गुरू – भूतिया फ़िल्में / रोमांचक फ़िल्में, केतु-गुरू – दार्शनिक फ़िल्में।


शुक्र : चमक-दमक के लिए, आजकल यह फ़िल्मों का ख़ास पहलू है। न सिर्फ़ नायिकाएँ, बल्कि नायक भी अच्छा दिखने के लिए काफ़ी मेहनत करते हैं। आम तौर पर शुक्र गुणवत्ता-पसंद होता है। इसलिए फ़िल्में अच्छे उपकरणों के ज़रिए बढ़िया स्तर की बनेंगी।


शनि : परदे के पीछे काम करने वाले सभी व्यक्ति शनि के प्रभाव में आते हैं। कुछ मुख्य लोगों को छोड़कर लोग अधिकांशतः परदे के पीछे काम करने वाले इन ज़्यादातर लोगों को नहीं पहचानते हैं।


मंगल-बुध-शुक्र-शनि-गुरू : कोरियोग्राफ़र (नृत्य निर्देशक)


मंगल-शनि-गुरू : स्टंट मास्टर


बुध-चन्द्र-शुक्र-शनि-गुरू : संगीतकार


बुध-चन्द्र-शनि-शुक्र-तीसरा भाव : गीतकार


बुध-मंगल-चन्द्र-शनि-तीसरा भाव : संवाद लेखक / पटकथा लेखक


बुध-मंगल-शुक्र-गुरू-शनि-राहु : तकनीशियन / ग्राफ़िक्स


बुध-गुरू-शुक्र और पाँचवाँ व तीसरा भाव : डिस्ट्रीब्यूटर


बुध-गुरू : विज्ञापन


हम इसी तरह इस क्षेत्र से जुड़े अन्य कामों के बारे में भी पता कर सकते हैं।


ये सभी परिणाम दशा और भुक्ति के आने पर दिखाई देने लगते हैं। हमने कई बार देखा है कि लोग खलनायक के तौर पर अपना करियर शुरू करते हैं और फिर नायक बन जाते हैं और हीरो हास्य-कलाकर बन जाते हैं। इस तरह के बदलाव के लिए सह-स्वामी (को-रूलर) ज़िम्मेदार होते हैं।


अनुभव ही मुख्य चीज़ है, इसलिए हमें किसी भी घटना की ठीक-ठीक भविष्यवाणी करने के लिए हर तथ्य की भली-भांति पड़ताल करनी पड़ती है। इसके लिए तजुर्बा, व्यापक कल्पना और इंट्यूशन की ज़रूरत होती है।

More from: Jyotish
32902

ज्योतिष लेख

मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।

Holi 2020 (होली 2020) दिनांक और शुभ मुहूर्त तुला राशिफल 2020 - Tula Rashifal 2020 | तुला राशि 2020 सिंह राशिफल 2020 - Singh Rashifal 2020 | Singh Rashi 2020