एक कुण्डली (जिसे जन्म-कुण्डली, जनम कुंडली, जन्म पत्रिका, जन्मपत्री, वैदिक कुण्डली, हिन्दू कुण्डली आदि नामों से भी जाना जाता है) नक्षत्रों और ग्रहों की उन सटीक स्थितियों को दर्शाती है, जो जातक के जन्म के समय आकाश में थीं। इन खगोलीय स्थितियों को सरल रूप में कुंडली की सूरत में चिह्नित किया जाता है, ताकि उसका विश्लेषण किया जा सके। हिन्दीलोक.कॉम पर आप विस्तृत हिन्दी कुण्डली और ज्योतिष सॉफ़्यवेयर मुफ़्त पाएंगे, जहाँ आप हिंदी में अपनी जन्मपत्री बना सकेंगे, हिन्दी गुण मिलान (हिन्दी गुण मिलाप) कर सकेंगे, हिन्दी राशिफल पढ़ सकेंगे और साथ ही अन्य बहुत-सी हिन्दी ज्योतिष सामग्री पाएंगे। नीचे अपनी जन्म से जुड़ी जानकारी भरें और अपनी हिन्दी जन्म कुंडली निःशुल्क पाएँ –
जन्म कुंडली एक ऐसा छायाचित्र है जो एक ज्योतिषी किसी जातक के जन्म के समय आकाश में उपस्थित विभिन्न ग्रहों, नक्षत्रों और राशियों आदि की विशेष स्थिति के आधार पर बनाता है। इसमें जीवन के प्रत्येक पहलू को कुंडली के 12 भावों में विभक्त किया गया है जिसके आधार पर कोई ज्योतिषी किसी व्यक्ति विशेष की कालगणना द्वारा भविष्यवाणी कर सकता है।
आज के समय में जब प्रत्येक व्यक्ति किसी ना किसी समस्या से ग्रसित है तो उन समस्याओं के समाधान को जानने हेतु ज्योतिषी जन्म कुंडली के अध्ययन तथा स्वयं के ज्ञान द्वारा व्यक्ति की ग्रह जनित समस्याओं का आकलन करके उसका मार्गदर्शन कर सकता है।
किसी भी जातक अथवा जाति का की जन्मकुंडली बनाने के लिए सर्वप्रथम उनकी पूरी जन्मतिथि जिसमें जन्म की तारीख, जन्म का महीना और जन्म का वर्ष आवश्यक होता है। उसके उपरांत जन्म का समय तथा जन्म स्थान की आवश्यकता होती है। मुख्य रूप से किन्ही तीन जानकारियों के बाद एक ज्योतिषी किसी जातक की जन्म कुंडली बनाता है।
हां, ज्योतिष की सहायता से हम विभिन्न प्रकार के ग्रहों नक्षत्रों और राशियों के समायोजन से बनने वाले लोगों और दोषों का आकलन कर जीवन में आ चुकी, चल रही तथा भविष्य में आने वाली सभी अच्छी-बुरी घटनाओं और समस्याओं का आकलन कर सकते हैं और किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी की गणना द्वारा उन समस्याओं के कारणों का उचित मूल्यांकन करवा कर समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
ज्योतिष का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के कर्मों की दिशा को मार्गदर्शन प्रदान करना है। किसी भी व्यक्ति के लिए ज्योतिष मात्र उसकी समस्याओं का समाधान नहीं है अपितु ज्योतिष का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के जीवन को सार्थकता प्रदान करना है। ज्योतिष के माध्यम से जातक अपने कर्मों की दिशा का आकलन कर अपने कर्मों को गति प्रदान कर सकता है और उसके अनुसार फलों की प्राप्ति संभव होती है।
जब दो व्यक्तियों का विवाह होता है तो दोनों की अपनी अपनी जन्म कुंडली होती है जिसमें ग्रहों तथा नक्षत्रों की स्थितियां और राशियों का समावेश होता है जिनके आधार पर किसी व्यक्ति विशेष में विभिन्न प्रकार के गुण और दोष पाए जाते हैं। अतः उन दोनों की कुंडलियों का मिलान कर उनके गुण दोषों का सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाता है और उसके बाद यह ज्ञात किया जाता है कि क्या तुम दोनों की कुंडली में गुण मिलान का उच्चतम संयोग बनता है अथवा नहीं। यदि योग बनता है तो विवाह मान्य होता है इसके विपरीत यदि योग नहीं बनता तो विवाह अमान्य होता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में सामान्य दोष होने पर विभिन्न उपायों द्वारा विवाह कराने की सहमति दी जाती है।
किसी विशिष्ट प्रश्न को पूछते समय उस समय के ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति तथा राशियों के समा-योजन से जो कुंडली तैयार की जाती है उसे प्रश्न कुंडली कहते हैं। प्रश्न कुंडली किसी भी प्रश्न के सटीक उत्तर के लिए जानी जाती है। यह कुंडली विशेष रूप से तब प्रयोग में लाई जाती है जब किसी व्यक्ति विशेष की जन्म कुंडली उपलब्ध ना हो और उसे कोई प्रश्न पूछने की जिज्ञासा हो।