16 अप्रैल 2011
अस्ताना। कजाकिस्तान के कैस्पियन सागर में स्थित सतपायेव तेल ब्लॉक में 25 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने सम्बंधी समझौते पर हस्ताक्षर के साथ ही भारत को इस मध्य एशियाई देश के ऊर्जा क्षेत्र में कदम रखने का मौका मिल गया है।
खनिज संपदा से भरपूर कजाकिस्तान के संक्षिप्त दौरे पर आए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में इस 1800 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर हुए। भारत की ओर से ओएनजीसी विदेश लिमिटेड और कजाकिस्तान की ओर से यहां की राष्ट्रीय कम्पनी कजमुनगस ने हस्ताक्षर किए। भारत वर्ष 1995 से कजाकिस्तान के ऊर्जा क्षेत्र में कदम रखने की कोशिश कर रहा है और अंतिम समझौते तक पहुंचने में दोनों देशों में पांच वर्षो से अधिक समय लगा।
एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि यह तेल क्षेत्र करीब 1500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और महत्वपूर्ण खोजों से नजदीक होने के कारण उत्तरी कैस्पियन सागर एक उच्च सम्भावित क्षेत्र है। इस समझौते के भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सहायता मिलेगी। इस क्षेत्र में 25.6 करोड़ टन हाइड्रोकार्बन भंडार होने का अनुमान है। भारत अपनी जरूरतों का करीब 70 फीसदी पेट्रोलियम ईंधन का आयात करता है। दोनों रणनीतिक साझेदारों ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने सम्बंधी समझौते पर भी हस्ताक्षर किए।
समझौते के मुताबिक दोनों पक्षों को परमाणु ऊर्जा के शांति पूर्ण प्रयोग के अलावा ईंधन व परमाणु मशीनरी की आपूर्ति, स्वास्थ्य के लिए रेडियोधर्मी प्रौद्योगिकी के प्रयोग, रिएक्टरों की सुरक्षा के लिए तंत्र, वैज्ञानिक और शोध से जुड़ी सूचनाओं के अदान-प्रदान, यूरेनियम की संयुक्त खोज और खनन और परमाणु बिजली संयंत्रों की डिजाइन, निर्माण और संचालन के रास्ते खुलेंगे। समझौते के मुताबिक कजाकिस्तान वर्ष 2014 तक 2100 टन यूरेनियम की आपूर्ति करेगा।
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