2 जुलाई 2011
नई दिल्ली। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को 150 वर्ष पूरे कर लिए। इस अवसर पर केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री डॉ. एम वीरप्पा मोइली ने कहा कि केंद्र सरकार उच्च न्यायालय में लम्बित पड़े मामलों की संख्या घटाने की इच्छुक है, इसलिए वह आज से एक अभियान की शुरुआत कर रही है। इस अभियान के तहत न्यायधीशों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
मोइली ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायधीशों के 58 पद अनुमोदित हैं, जबकि यहां 46 न्यायधीश कार्यरत हैं। इस प्रकार सात रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया तेज की जाएगी।
ज्ञात हो कि कलकत्ता उच्च न्यायालय की स्थापना हाईकोर्ट्स एक्ट, 1861 के तहत 14 मई, 1862 को की गई थी लेकिन इसने एक जुलाई, 1862 को औपचारिक तौर पर काम करना शुरू किया था।
कलकत्ता उच्च न्यायालय देश का पहला और शुरुआत के तीन उच्च न्यायालयों में से एक है। दो अन्य बम्बई तथा मद्रास उच्च न्यायालय अस्तित्व में आए। कलकत्ता उच्च न्यायालय में पदभार ग्रहण करने वाले प्रथम भारतीय मुख्य न्यायाधीश सुम्बू नाथ पंडित थे, जिन्होंने दो फरवरी, 1863 को पदभार संभाला। उच्च न्यायालय की शुरुआत 13 न्यायधीशों से हुई थी, जिसे 1955 में बढ़ाकर 20 कर दिया गया। वर्ष 2007 में न्यायधीशों की संख्या बढ़ाकर 58 कर दी गई। उच्च न्यायालय भवन का निर्माण 1872 में किया गया था।
मोइली ने कहा, "मैं पश्चिम बंगाल सरकार से गुजारिश करूंगा कि वह ग्राम न्यायालय की स्थापना के लिए कदम उठाए। केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल के लोगों की सुविधा के लिए वर्ष 2006 में कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ जलपाईगुड़ी में स्थापित करने का निर्णय लिया था, अब यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इसके लिए आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराए।"
उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार जेल में बंद कैदियों की संख्या और विचाराधीन मामलों को कम करने की दिशा में 26 जनवरी, 2010 को एक कार्यक्रम की शुरुआत कर चुकी है। मुझ्झे खुशी है कि इसके बहुत सकारात्मक परिणाम मिले हैं। मुझे खुशी है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन कलकत्ता उच्च न्यायालय की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेती है और मेरी इच्छा है कि वह इस प्रयास को जारी रखे।"
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