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दिवाली के साथ 5 और त्यौहारों का तोहफा

diwali 2011 series of festivals

22 अक्टूबर 2011

राम हरि शर्मा
दीपावली प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन,सफ़ेदी आदि का कार्य होने लगता हैं। लोग दुकानों को भी साफ़ सुथरा करके सजाते हैं। बाज़ारों में गलियों को भी रंग बिरंगी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही चारो तरफ सफाई ही सफाई नजर आने लगती है और शुरू हो जाता है दीपावली पर्व

1. गोवत्स द्वादशी : यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वादशी को को किया जाताहै इस दिन ( इस वर्ष) दिनाक 23 अक्तूबर 11 को साय काल जब गाये चरकर घर वापस  आयें तब तब गाय और बछडे का  गन्धादि से पूजन करके  ” क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते। सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्यं नमोस्तुते”  से गाय के चरणों मे अर्घ्य दे और प्रार्थना करें। इस बात का ध्यान रखें कि इस दिन के भोजन के पदार्थों में गाय का दूध, दही, घी, छाछ और खीर तथा तेल के पके हुये अन्य कोई पदार्थ न हो।

2. धन तेरस : धन तेरस या धन त्रयोदशी कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है।  इस दिन भगवान धनवन्तरि समुद्र मन्थन के समय खारे सागर में से औषधिरूप अमृत लेकर प्रकट हुये थे। अतः धन तेरस यह सन्देश देती है कि हम सबका जीवन भी औषधियों के द्वारा स्वास्थ्य सम्पदा से समृध्द हो सके। इसके अलावा धन त्रयोदशी का एक दूसर पहलू भी है। इस दिन बर्तन तथा आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है। इस वर्ष  धन त्रयोदशी  24 अक्तूबर 11 सोमवार को है। शाम को स्थिर लग्न वृष में 18:50 से 20:47 तक सोना चांदी खरीदना शुभ है, बर्तनों मे चांदी तथा कांसे के बर्तन खरीदना शुभ होता है।

इस दिन संध्या के समय घर के बाहर हाथ में जलता हुआ दिया लेकर भगवान यमराज की प्रसन्नता हेतु उनको इस मंन्त्र के साथ दीप दान करना चाहिये।
मन्त्र:  मृत्युनापाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह
त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यजः प्रीयतां मम।
अर्थात त्रयोदशी के इस दीप दान से पाश और दंड धारी मृत्यु तथा काल के अधिष्ठाता देव भगवान यम, देवी श्यामा सहित मुझ पर प्रसन्न हों।

3. रूप चतुर्दशी या नरक चौदस:  धनतेरस के बाद आती है नरक चतुर्दशी । यह इस वर्ष दिनांक 25 अक्तूबर मंगलवार को है इस दिन हस्त नक्षत्र है। इसको काली चौदस भी कहते है। इसके अलावा इस दिन को छोटी दीवाली भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने 16000 हजार कन्याओं को राक्षस नरकासुर की कैद से छुदा कर अपनी शरण दी एवम नरकासुर को यम लोक पहुंचाया।

इस दिन शाम को एक चतुर्मुखी दीप का दान करने से नरक भय से मुक्ति मिलती है एक चार  मुख    (चार बत्ती वाला) दीप जलाकर निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिये।
दत्त्तो दीपश्चतुर्दश्यां नरकप्रीतये मया।
चतुर्वर्तिसमायुक्तः सर्वपापापनुत्तये।।
अर्थात आज चतुर्दशी के दिन नरक के अभिमानी देवता के प्रसन्नता के लिये  तथा समस्त पापों के विनाश के लिये मैं 4 बत्तियों वाला चौमुखा दीप अर्पित करता हूं।

4. दीपावली:  यह अमावस्या के काले रात मे मनाई जाती है। इसको बडी दीवाली भी कहते है। बंगाल मे इस दिन काली पूजा का त्योहार मनाया जाता है।

इस दिन सुबह से लोगों मे बडा उत्साह होता है नये नये व्स्त्र धारण करके एक दूसरे के घर मिठाइयां पहुचाते हैं। रात को दीपों की पंक्तियों से घर को सजाते हैं और बच्चे तथा बड़े लोग पटाखे इत्यादि चला कर खुशी का इज़हार करते है। इस दिन लक्ष्मी पूजन का बडा ही महत्व है। इस वर्ष दिवाली 26 अक्तूबर 2011 को दिन बुधवार को मनाई जायेगी।

कहा जाता है कि इस दिन लक्ष्मी जी रात्रि के समय भक्तो के घरॊं मे विचरण करती हैं इसलिये अपने,मनोकामना को सब प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और सुशोभित करके दीपावली अथवा दीपमालिका बनाने से  लक्ष्मी प्रसन्न होती है। और उनके घरों मे स्थायी रूप से निवास करती है।

लक्ष्मी पूजन का समय

दिन मे:
धनु लग्न मे दिन मे 10:28 से 12;31  शुभ चौघडिया मे 10: 42 से शुभ रहेगा
मीन लग्न 15;42 से तथा मष लग्न 17:07 से शुरू होअक सुर्यास्त के पीछेतक प्रदोश काल मे श्रेष्ट रहेगी इस दौरान चर एवम लाभ के चौघडिया महूर्त्त शुभ रहेगे.

रात्रि मे:
इस वर्ष वृष लग्न श्रेष्ट नही है इसका समय 18:43 से 20:39 है इसमे लग्नेश का छठे भाव मे स्थिति तथा केतु की स्थिति नेष्ट है अत: विद्वान जनो को इस वर्ष मिथुन लग्न 20:39 से 22;52 तक शुभ है इसमे भी अमृत का चौघडिया 20:52 से 22:58 तक विशेश शुभ होगा.
महानिशीथ काल 23:39 से 24;31 तक रहेगा.जिसे लक्ष्मी देवी के पूजन हेतु अत्यंत शुभ कहा है यथा” निशीथे लक्ष्म्यादि पूजनं कृत्यं शुभम.”
अतः अपनी अपनी सुबिधानुसार उचित समय मे लक्ष्मी का पूजन करे.


5.गोवर्धन पूजा:  दीवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा पर्व मनाया जाता है। इसकी ब्रज क्षेत्र मे बडी ही महिमा है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर धारण करके ब्रज को इन्द्र के कोप से बचाया था। अन्त मे इन्द्र ने श्री कृष्ण से अपनी करतूत की माफी मांगी। तब से यह त्योहार मनाया जाता है इस दिन प्रातः  गौ के गोबर का गोवर्धन बनाते है और उसकी पुष्प गन्ध आदि से पूज करते है। नैवेद्य के रूप मे  दाल भात, साग, हलवा, पूरी, खीर, लड्डू , पेडे, बर्फ़ी, जलेबी, आदि अनेक पदार्थ बनाकर भगवान को अर्पन करे। और भगवान के भक्तों को यथा विभाग भोजन करकर शेष समग्री आशार्थियों मे वितरण करें। इस प्रकार करने से भग्वान गोवर्धन धारी प्रसन्न होते है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा 27 अक्तूबर 2011 को गुरुवार के दिन मनाई जाये।

6.भाई दूज और यम द्वितीया:  कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यम का पूजन किया जाता है इससे यह यम द्वितीया कहलाती है इस दिन वणिक वृत्ति वाले  वैश्य मसिपत्रादि का पूजन करते है इस कारण इसे कलम दान पूज भी कहते है। इस दिन भाई अपनी बहन के घर भोजन करते है इसलिये यह भैया दूज के नाम से भी विख्यात है। कहते है इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर पधारे थे। बहन यमुना ने भाई यम का स्वागत किया और अपने किनारे उनको भोजन कराया और वरदान मागा कि आज के दिन जो भाई बहन साथ मे विश्राम घाट मथुरा मे मुझमें गोता लगा कर स्नान करेगे तो उनको नरक से मुक्ति मिले। यमराज ने अपनी बहन यमुना को यह वरदान दे दिया, तब से अब तक हर वर्ष मथुरा मे लाखों भाई बहन यमुना मे नहा कर अपने को कृतार्थ करते है। इस दिन बहन भाई को भोजन कराये। इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर उसकी पूजा ग्रहण करे। बहन को चाहिये कि भाई को शुभाशन पर बैठा कर उसके हाथ पैर धुलाये  गन्धादि से उसका पूजन करे और उत्तम पदार्थों से भोजन कराये। इसके बाद भाई बहिन को यथा सामर्थ्य अन्न – वस्त्र – आभूषण और सुवर्ण मुद्रादि द्रव्य देकर उससे शुभाशीष प्राप्त करे। ऐसा करने से भाई के आयु वृधि और बहन के अहिवात ( सौभाग्य) की रक्षा होती है।

 

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