1 अप्रैल 2014
नई दिल्ली|
टेलीविजन अभिनेता हर्ष छाया को टेलीविजन और फिल्मोद्योग का 20 वर्षो से अधिक समय का अनुभव है। टेलीविजन से रचनात्मकता लुप्त हो जाने के कारण पटकथा लेखन के प्रति उनका प्रेम फिर से जागा है और वह निर्देशन की ओर उन्मुख हुई हैं।
हर्ष ने आईएएनएस को एक ईमेल साक्षात्कार में बताया, "मैं कहूंगा कि मैं अब लेखन को संजीदगी से तव्वजो दे रहा हूं। मैंने पूर्व में भी कभी-कभार लिखा है।"
हर्ष उस समय सफल व्यक्ति के रूप में उभरे जब सैटेलाइट टेलीविजन अपनी प्रारंभिक अवस्था में था, लेकिन 1990 के दशक में उन्होंने 'तारा' और 'हसरतें' सरीखे गुणात्मक और परिपक्व पटकथा वाले धारावाहिक लिखे।
वह सात स्वतंत्र पटकथा लेखकों में से इकलौती ऐसी हस्ती हैं, जिन्हें कार्यक्रम के लिए चुना गया, जो उनकी फीचर फिल्म लिपियां विकसित करने की ऐसी प्रतिभा की पहचान, प्रोत्साहन और समर्थन करता है।
यह लेखन के क्षेत्र में उनका पहला प्रयास नहीं है। करीब 25 वर्ष से कुछ अधिक समय पूर्व उन्होंने लोकप्रिय धारावाहिक 'मालगुड़ी डेज' से प्रेरित एक काल्पनिक पटकथा लिखने का प्रयास किया था। इसके अलावा, जामिया मिलिया इस्लामिया से मॉस कम्युनिकेशन में एम.ए. करते समय अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए उन्होंने कॉरपोरेट जगत की फिल्म पटकथाएं भी लिखीं।
हालांकि, वह स्वीकारते हैं, "गंभीर लेखन की बजाय मेरी दिलचस्पी अभिनय में अधिक थी। ऐसा नहीं है कि मेरा आशय मेरे संकट के बारे में रोना है, लेकिन हाल में रचनात्मक रूप से दिवालिया हो चुके टेलीविजन में अब एक अभिनेता के नाते हताशा हुई, जिससे एक बार फिर लेखन का रुख किया क्योंकि बतौर एक अभिनेता मुझे महसूस होता है कि मेरी प्रेरणा और उत्साह सिर्फ लिखित शब्द से आ सकता है, जो मेरे आगे आते हैं।"
'कॉरपोरेट', 'भेजा फ्राई', 'मिथ्या', 'फैशन' और 'जॉली एलएलबी' सरीखी फिल्मों में हर्ष द्वारा निभाई गई भूमिकाएं विषयवस्तु या पटकथा के संबंध में उनकी अलग पसंद भी दर्शाती हैं। वह आशा करते हैं कि कहानी कहने की नवीन कला को फिल्मोद्योग में एक गहन अर्थ मिले।
उन्होंने कहा, "यहां कहानी कहने की नवीनतम कला अभी भी एक प्रारंभिक चरण में है और मैं कहूंगा कि अधिकांश अन्य सिनेमा के रूप में दरकिनार कर दी गई हैं।"