27 जून 2012
श्रीनगर। जम्मू एवं कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में बुधवार को हालात सामान्य होने लगे हैं। शैक्षिक संस्थान, बाजार खुले हैं और परिवहन के सार्वजनिक साधन सड़कों पर नजर आ रहे हैं। दो दिन पहले यहां एक 300 साल पुरानी दरगाह में आग लगने के बाद से तनाव की स्थिति थी। एक अधिकारी ने बुधवार को यहां बताया कि वैसे शहर के पुराने इलाके में छह थाना क्षेत्रों में अब भी वाहनों से व पैदल निकलने पर प्रतिबंध लगे हुए हैं।
अधिकारी ने कहा, "श्रीनगर के खानयार, रेनावाड़ी, नोवहाटा, एम.आर. गंज, साफादल व करालखुद थाना क्षेत्रों में पैदल आवाजाही व वाहनों के परिचालन पर प्रतिबंध है।"
जिन क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाए गए हैं, वहां शांति का किसी प्रकार का उल्लंघन न हो इसलिए भारी संख्या में पुलिस व केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की तैनाती की गई है।
सोमवार को मुस्लिम संत शेख अब्दुल कदीर गिलानी की 300 साल से भी पुरानी दरगाह के रहस्यपूर्ण तरीके से आग की चपेट में आ जाने के बाद से श्रीनगर में तनाव की स्थिति थी। गिलानी में मुस्लिम व हिंदू दोनों की ही आस्था थी। मुसलमान उन्हें पीर दस्तगीर बुलाते थे तो वह कश्मीरी हिंदुओं में काहनूव नाम से मश्हूर थे।
राज्य सरकार ने कश्मीर के सम्भागीय आयुक्त असगर हसन सामून को आग लगने की घटना की जांच करने के आदेश दिए हैं।
दरगाह में पवित्र स्मृति चिन्हों की देखरेख करने वाले सैयद खालिद हुसैन गिलानी ने किसी प्रकार का शॉर्ट सर्किट होने से आग लगने की सम्भावना से इंकार किया है।
गिलानी ने मीडिया से कहा, "जब आग लगी उस समय दरगाह में बिजली नहीं थी।"
राज्य पुलिस ने भी आग लगने की वजहों का पता लगाने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (श्रीनगर) सैयद आशिक हुसैन बुखारी ने बताया, "हम सभी पक्ष देख रहे हैं। हम अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं।"
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