30 अप्रैल 2011
नई दिल्ली। प्रसिद्ध फिल्मकार के. बालाचंदर को वर्ष 2010 का दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया है। दक्षिण भारत के इस फिल्मकार ने हिन्दी फिल्म 'एक दूजे के लिए' से उत्तर भारत में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील उन्हें इसी वर्ष बाद में पुरस्कार प्रदान करेंगी।
भारत सरकार द्वारा यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के संवर्धन और विकास में उल्लेखनीय योगदान करने के लिए दिया जाता है। पुरस्कार के रूप में एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपये नकद और एक शॉल प्रदान किया जाता है। प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक समिति की सिफारिशों पर यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
के. बालाचंदर फिल्म निर्देशन, निर्माण और पटकथा लेखन से 45 वर्षो से भी अधिक समय से जुड़े रहे हैं। उन्होंने तमिल, तेलुगू, हिन्दी और कन्नड़ भाषाओं की 100 से भी अधिक फिल्मों का लेखन, निर्देशन और निर्माण किया है।
बालाचंदर फिल्म निर्माण की अपनी अनोखी शैली के कारण जाने जाते हैं। वह जिन फिल्मों का लेखन और निर्माण करते हैं, उसमें असामान्य या जटिल अंतर-व्यक्तिगत सम्बंधों और सामाजिक विषयों का विश्लेषण होता है। बालचंदर में नवीन प्रतिभाओं को पहचानने की अद्भुत क्षमता है। आज के बहुत से सितारों को प्रसिद्धि दिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिसमें रजनीकांत, कमल हासन, प्रकाशराज और विवेक जैसे सितारे भी शामिल हैं।
तमिलनाडु के तंजावुर में जुलाई 1930 में जन्मे बालाचंदर को 'मेजर चंद्रकांत', 'सरवर सुंदरम', 'नानल' और 'नीरकुमिझीझ्' जैसे अद्भुत नाटकों की वजह से एक नाटककार के रूप में प्रसिद्धि मिली। इन नाटकों को काफी अधिक प्रसिद्धि और प्रशंसा प्राप्त हुई।
वह 1965 में फिल्म उद्योग में आए और नागेश अभिनीत अपनी पहली ही फिल्म 'नीरकुमिझीझ्' से ख्याति अर्जित कर ली। उसके बाद से उन्होंने कई फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया जिन्होंने कई राष्ट्रीय पुरस्कार और राज्य सरकारों तथा अन्य संगठनों के पुरस्कार जीते। उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में 'अपूर्वा रागागल', 'अवर्गल', '47 नटकल', 'सिंधु भैरवी', 'एक दूजे के लिए' (हिन्दी), तेलुगू में 'रुद्रवीणा' तथा कन्नड़ में 'अरालिदाहवू' शामिल हैं।
पिछले कुछ वर्षो से बालांचदर ने छोटे पर्दे की ओर भी रुख किया है। इसमें भी वह उसी पूर्णता और गहराई को लेकर आए हैं जिसका प्रदर्शन उन्होंने बड़े पर्दे पर किया है। 1987 में उन्हें पद्मश्री प्रदान किया गया था और 1973 में तमिलनाडु सरकार द्वारा उन्हें 'कलाईममानी' की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
उल्लेखनीय है कि बालाचंदर ने आंध्र प्रदेश सरकार से स्वर्ण नंदी और रजत नंदी पुरस्कार भी प्राप्त किया है और कई बार उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिल चुका है।
Know when the festival of colors, Holi, is being observed in 2020 and read its mythological significance. Find out Holi puja muhurat and rituals to follow.
मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।