24 अगस्त 2013
लखनऊ।
आधुनिकता के इस दौर में खादी वस्त्रों की मांग भी खास लोगों तक ही सिमट कर रह गई है। खादी के अत्यधिक महंगे कपड़ों से जहां आम आदमी मुंह फेरे हुए हैं, वहीं विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी भी खादी वस्त्रों को निष्ठा के साथ अपने पहनावे में नहीं लागू कर पा रहे हैं। वे भी जींस की पैंट और टेरीकॉटन कपड़ों को तरजीह दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश शासन ने बैठकों एवं विभागीय कार्यो में इस प्रकार के कपड़े पहनने पर पूरी तरह रोक लगा दी है। इस संबंध में सभी को शासनादेश लागू कर निर्देश भी दिया गया है कि वे इसका सख्ती से पालन करें, अन्यथा उन पर कार्रवाई हो सकती है, फिर भी वे जींस पर फिदा हैं।
प्रदेश में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड से संबंधित हजारों कर्मचारी हंै। इसके अलावा खादी की विभिन्न संस्थाएं भी संचालित हैं लेकिन विभिन्न स्थानों पर संचालित दुकानें एवं संस्थाओं के कर्मचारी एवं अधिकारी भी खादी वस्त्रों से अपना मुंह मोड़ने लगे हैं। खादी वस्त्रों के साथ ही जींस की पैंट एवं टेरीकाटन वस्त्रों को पहनकर विभागीय कार्य किए जा रहे हैं।
यही नहीं, विभागीय बैठकों में भी अब गैर खादी के कपड़े पहने ही कर कोई नजर आता है। ऐसे में शासन ने खादी वस्त्रों को बढ़ावा देने के लिए कर्मचारियों एवं अधिकारियों को सबसे पहले अधिक से अधिक खादी वस्त्रों के प्रयोग करने की नसीहत दी है।
प्रमुख सचिव खादी ग्रामोद्योग ने सभी जनपदों में इस संबंध में शासनादेश लागू कर सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को खादी के वस्त्र पहनकर ही विभागीय कार्य करने का निर्देश दिया है। उन्होंने खादी को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले खुद पर इस नियम को लागू करने का निर्देश दिया है। इसके बाद जनपद स्तर पर सभी कर्मचारियों को इस शासनादेश का सख्ती से पालन करने का निर्देश दे दिया गया है।
अधिकारियों के मुताबिक, विभागीय कार्य के दौरान यदि कोई जींस की पैंट या टेरीकॉटन वस्त्रों को पहने हुए पाया गया तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।