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बुनियादी ढांचे के विकास में मदद करें जी-20 देश: मनमोहन

manmohan singh in seol in g20 summit

12 नवंबर, 2010

सियोल। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में नए सिरे से संतुलन बनाने पर जोर देते हुए कहा है कि अमीर देशों से आने वाले कोष को गरीब और उभरती अर्थव्यवस्था वाले राष्ट्रों के बुनियादी ढांचे के विकास में लगाना चाहिए ताकि अस्थिरता रोकी जा सके।

यहां आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के एक सामान्य सत्र में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "वैश्विक अर्थव्यवस्था को नए सिरे से संतुलित करने की दिशा में आने वाली समस्याओं से हम अच्छी तरह अवगत हैं।" उन्होंने कहा कि कुछ देशों के घाटों को अमीर देशों द्वारा निवेश के जरिए पूरा किया जाना चाहिए ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में संकुचन की स्थिति न पैदा हो।

सिंह ने कहा, "यहां तक कि हमें विकासशील देशों की ओर परिवर्तनशील पूंजी प्रवाह में वृद्धि को अस्थिर करने से बचने की कोशिश करनी चाहिए। इन देशों में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए दीर्घकालिक प्रवाह के समर्थन का एक मजबूत आधार है, वह भी खासतौर से बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में ऐसा होना चाहिए।"

सिंह का इशारा भारी घाटा उठा रहे अमेरिका जैसे देशों की ओर था, जिसके घाटे को कम करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षो में सब सहारा अफ्रीका के कई बाजारों सहित उभरते बाजारों के आर्थिक प्रदर्शन में काफी हद तक सुधार हुआ है। भारत एक ऐसा देश है, जो अधिक निवेश को आकर्षित कर सकता है।

उन्होंने कहा, "ये देश फिलहाल इस स्थिति में हैं कि वे निवेश में निर्धारित विस्तार तक लक्षित पूंजी प्रवाह को पचा सकते हैं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में जरूरी मांग पैदा करेगा।"

मनमोहन सिंह ने कहा कि जी-20 के नेताओं में विभिन्न मुद्दों पर मतभेद होने के बावजूद चार क्षेत्रों में सहमति है। ये चार क्षेत्र कुछ इस प्रकार हैं:

- किसी भी कीमत पर प्रतिस्पर्धात्मक अवमूल्यन से बचा जाना चाहिए और संरक्षणवाद के पुररुत्थान को रोका जाना चाहिए।

- अधिक घाटे वाले देशों को वित्तीय समेकन नीतियों का अनुसरण करना चाहिए।

- ढांचागत सुधारों से घाटे वाले देशों में क्षमता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़नी चाहिए और अधिशेष राष्ट्रों में घरेलू मांग बढ़नी चाहिए।

- देशों को पूंजी प्रवाह को अस्थिर किए बगैर आदान-प्रदान के मामले में लचीला होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन के मेजबान दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली मियूंग बाक को नेताओं के बीच सहमति बनाने की उनकी पहल के लिए तथा जी-20 में पहली बार विकास के एजेंडे को शामिल करने के लिए बधाई दी।

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