3 जून 2011
इंदौर। दौलत व शोहरत किसे प्यारी नहीं लगती। जिसके लिए इनका कोई मोल नहीं होता, उसे समाज में संत व महात्मा का दर्जा मिल जाता है। मध्य प्रदेश के शुजालपुर में जन्में उदय सिंह देशमुख भी ऐसे ही लोगों में से एक है, जिन्हें कॉरपोरेट जगत और मॉडलिंग की दुनिया रास नहीं आई। उन्होंने उस चकाचौंध को छोड़कर समाज सुधार का अभियान छेड़ा है। इसीलिए समाज ने उन्हें नया नाम दिया है, 'भय्यू जी महाराज'।
सुगठित शरीर वाले 44 वर्षीय भय्यू जी महाराज का लिबास अन्य संत महात्माओं से जुदा होने के साथ आम आदमी जैसा है। कुर्ता-पायजामा और माथे पर छोटा सा चंदन का टीका। एक हाथ की कलाई में मोती जड़ित सोने की चमकती ब्रैसलेट तो दूसरे हाथ में सूत का कलावा। वह घुड़सवारी भी करते हैं तो तलवारबाजी के हुनर में भी माहिर हैं। संगीत व कला में भी दक्षता है।
विश्वास राव देशमुख और कुमुदनी देवी देशमुख की संतान उदय सिंह देशमुख ने शिक्षा पूरी करने के बाद मुम्बई की एक कम्पनी में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद की जिम्मेदारी संभाली। इतना ही नहीं उन्हें सियाराम फैब्रिक्स में मॉडलिंग का भी मौका मिला। ग्लैमर वाली इस दुनिया में उनका ज्यादा दिन मन नहीं लगा। फिर उन्होंने रुख किया समाज के उपेक्षित व कमजोर वर्ग की ओर।
भय्यू जी महाराज बताते हैं कि उन्हें एक दिन बचपन की याद आई जब उनकी माता एक संत के दरबार में उन्हें ले जाया करती थी। संत वहां आने वालों को पूरी में शक्कर देते थे तथा सभी से चीटियों को खिलाने को कहते थे। पूरा गांव संत महाराज की कही बात के अनुसार काम करता था।
वह कहते हैं कि हमारे समाज में रोल मॉडल सद्पुरुष हैं। चाहे संत तुकाराम हो, विवेकानंद हो या कबीर या तुलसीदास। आज भी उन संत महात्माओं की वाणी या संदेश समाज का मार्ग दर्शन कर रहा है। माता पिता की इच्छा भी उन्हें (भय्यूजी महाराज) अच्छा इंसान बनाने की रही है, लिहाजा उन्होंने समाज के उपेक्षित वर्ग के लिए काम करने का संकल्प लेते हुए कॉरपोरेट जगत व मॉडलिंग को छोड़ने का फैसला कर लिया। फिर श्री सद्गुरु दत्त धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट का गठन किया।
यह ट्रस्ट मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में समाज हित के अनेक कार्य कर रहा है। इसका मकसद पूजा-पाठ को बढ़ावा देना नहीं बल्कि भूखे को रेाटी तो रोते को हंसाने का है। महाराष्ट्र के बुलढाना के खमगांव में जरायाम पेशा जाति पारधी के बच्चों के लिए आश्रमशाला चलाई जा रही है, जहां 470 बच्चे आधुनिक शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश के धार में आत्महत्या करने वाले किसानों के बच्चों के लिए विद्यालय चलाया जा रहा है।
ट्रस्ट द्वारा किसानों के लिए धरतीपुत्र सेवा अभियान व भूमि सुधार, जल मिटटी व बीज परीक्षण प्रयोगशाला, बीज वितरण योजना चलाई जा रही है। इसी तरह राष्ट्रीय भावना जागृत करने के लिए भारत माता के मंदिर बनाने व संविधान जागरण अभियान चलाया जा रहा है।
भय्यू जी महाराज ने अपनी जमीन बेचकर सूर्योदय आश्रम बनवाया है। इस आश्रम में आने वाले हर व्यक्ति के लिए भोजन का इंतजाम होता है। वे किसी से उपहार या मिठाई आदि नहीं लेते हैं बल्कि ऐसे लोगों से कहते हैं कि वे उनके पास बच्चों के लिए कॉपी आदि लेकर आएं।
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