Jyotish RSS Feed
Subscribe Magazine on email:    

Navratri 2020: नवरात्रि 2020 दिनांक और शुभ मुहूर्त

नवरात्रि 2020 के इस लेख में हम आपको नवरात्रि से जुड़ी सभी जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं। संसारभर में शक्ति की विभिन्न स्वरूपों में आराधना की जाती है। भारत में भी नवरात्रि के नौ दिन, देवी शक्ति यानी दुर्गाजी के विभिन्न स्वरूपों की भक्तिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। ये नौ दिन त्यौहार के रूप में मनाये जाते हैं, जिसे लेकर हिन्दू धर्म - समाज का हर वर्ग बहुत उत्साहित रहता है। 'नवरात्रि' शब्द मूलतः संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान देवी दुर्गा (शक्ति) के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें 'नवदुर्गा' भी कहा जाता है। नवरात्रि एक वर्ष में मुख्य रूप से चार बार आते हैं, लेकिन इनमें चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। नवरात्रि के दौरान देवी शक्ति के इन नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है:

नवरात्रि 2020

  1. माँ शैलपुत्री-पर्वतराज की पुत्री हैं।
  2. माँ ब्रह्मचारिणी- ब्रह्म के सामान आचरण करने वाली और तपस्या करने वाली हैं।
  3. माँ चंद्रघंटा- चंद्रमा की तरह चमकने वाली हैं।
  4. माँ कूष्माण्डा- पूरा जगत उनके चरणों में नतमस्तक है।
  5. माँ स्कंदमाता- भगवान् कार्तिक स्वामी अर्थात स्कन्द कुमार की माता है।
  6. माँ कात्यायनी- ऋषि कात्यायन के आश्रम में जन्म लेने वाली देवी है।
  7. माँ कालरात्रि- काल का नाश करने वाली देवी है।
  8. माँ महागौरी - श्वेत रंग वाली देवी है।
  9. माँ सिद्धिदात्री- सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली देवी से है।

चैत्र नवरात्रि 2020

हिन्दू धर्म के सभी व्रतों और महान दिनों में से नवरात्रि के दिनों को विशेष रूप से महत्व दिया जाता है। चैत्र नवरात्रि 2020 में मुख्य रूप से नौ दिनों तक पूजा अर्चना का ख़ास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इन नौ दिनों में माता दुर्गा की पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती और दुखों से छुटकारा मिलता है। इसके अतिरिक्त इस दौरान मानसिक रूप से भी शांति मिलती है। ऐसी मान्यता है कि इन नौ दिनों के दौरान परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। चैत्र नवरात्रि मुख्यतया अंग्रेजी कैलेंडर के मार्च और अप्रैल माह में मनाई जाती है।

चैत्र नवरात्रि 2020 - दिनांक एवं तिथि

क्र। सं। दिनांक माता के नौ रूप तिथि
1। 25 मार्च, 2020 माँ शैलपुत्री प्रतिपदा
2। 26 मार्च, 2020 माँ ब्रह्मचारिणी द्वितीया
3। 27 मार्च, 2020 माँ चंद्रघण्टा तृतीया
4। 28 मार्च, 2020 माँ कूष्माण्डा चतुर्थी
5। 29 मार्च, 2020 माँ स्कंदमाता पंचमी
6। 30 मार्च, 2020 माँ कात्यायिनी षष्ठी
7। 31 मार्च, 2020 माँ कालरात्रि सप्तमी
8। 1 अप्रैल, 2020 माँ महागौरी अष्टमी
9। 2 अप्रैल, 2020 माँ सिद्धिदात्री नवमी
10। 3 अप्रैल, 2020 नवरात्रि पारणा दशमी

चैत्र नवरात्रि 2020 के लिए घटस्थापना मुहूर्त

दिनांक घटस्थापना मुहूर्त अवधि
25 मार्च, 2020 (बुधवार) 06:18:56 से 07:17:12 तक 58 मिनट

नोट : दिया गया घटस्थापना मुहूर्त का समय नई दिल्ली, भारत के लिए है।

शारदीय नवरात्रि 2020

Shardiya Navratri 2020: अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक हिंदू धर्म के लोग शरद नवरात्रि को मनाते हैं। शारदीय नवरात्रि के बाद से ही शरद ऋतु (सर्दी ) का आरंभ होता है इसलिए भी इन नवरात्र को शारदीय नवरात्रि कहते हैं। नवरात्रि के इस पवित्र दिनों के दौरान भी सभी घरों में विशेष रूप से माँ दुर्गा जी के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है और परिवार में सुख शान्ति बनी रहें इसकी कामना की जाती है।

मुख्य रूप से देश के अलग-अलग राज्यों में इस पर्व को काफी धूम धाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। अधिकतर शुभ कार्यों को लोग इन नौ दिनों के अंतर्गत ही पूर्ण कर लेते हैं।

शारदीय नवरात्रि 2020 - दिनांक एवं तिथि

क्र। सं। दिनांक माता के नौ रूप तिथि
1। 17 अक्टूबर, 2020 माँ शैलपुत्री प्रतिपदा
2। 18 अक्टूबर, 2020 माँ ब्रह्मचारिणी द्वितीया
3। 19 अक्टूबर, 2020 माँ चंद्रघण्टा तृतीया
4। 20 अक्टूबर, 2020 माँ कूष्माण्डा चतुर्थी
5। 21 अक्टूबर, 2020 माँ स्कंदमाता पंचमी
6। 22 अक्टूबर, 2020 माँ कात्यायिनी षष्ठी
7। 23 अक्टूबर, 2020 माँ कालरात्रि सप्तमी
8। 24 अक्टूबर, 2020 माँ महागौरी अष्टमी
9। 25 अक्टूबर, 2020 माँ सिद्धिदात्री नवमी
10। 26 अक्टूबर, 2020 पारणा एवं दुर्गा विसर्जन दशमी

शरद नवरात्रि 2020 के लिए घटस्थापना मुहूर्त

दिनांक घटस्थापना मुहूर्त अवधि
17 अक्टूबर, 2020 (शनिवार) 06:23:24 से 10:11:57 तक 3 घंटे 48 मिनट

नोट : दिया गया घटस्थापना मुहूर्त का समय नई दिल्ली, भारत के लिए है।

नवरात्रि 2020: नवरात्रि की कथा

नवरात्रि 2020 के इस लेख के माध्यम से आपको नवरात्री की कथा की जानकारी देते हैं। एक प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, लंका के युद्ध में रावण पर विजय पाने के लिए ब्रह्मा जी ने भगवान श्री राम को देवी चंडी (भगवती) का 108 नील कमल से पूजन करके उन्हें प्रसन्न करने के लिए कहा। पूजा में विघ्न डालने के लिए रावण ने अपनी मायाशक्ति से एक कमल गायब कर दिया। ऐसे में राम को अपनी पूजा असफल होती जान पड़ी। लेकिन तभी उन्हें याद आया कि उन्हें स्वयं 'कमल-नयन' कहा जाता है। ऐसे में श्री राम ने अपना ही एक नेत्र देवी को अर्पित करने का निर्णय लिया। जैसे ही उन्होंने अपना नेत्र निकालने के लिए एक तीर निकाला, उसी समय देवी चंडी स्वयं प्रकट हो गयीं और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें विजय प्राप्त होने का आशीर्वाद दिया।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवताओं ने महिषासुर की अनन्य भक्ति से बाध्य होकर उसे अजेय होने का वर दे दिया, लेकिन साथ ही वह भयभीत भी थे कि कहीं महिषासुर इस वर का अनुचित इस्तेमाल न करे। उनका भय सही साबित हुआ और महिषासुर ने अभय होकर नर्क का विस्तार स्वर्ग के द्वार तक कर डाला। साथ ही उसने सभी प्रमुख देवताओं के अधिकार भी छीन लिए और स्वयं स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। इसके बाद महिषासुर से दुखी और कुपित देवताओं ने अपनी शक्तियों से देवी दुर्गा की रचना की और उन्हें अपने अस्त्र-शस्त्र भी प्रदान किये। इससे देवी दुर्गा परमबलशाली हो गईं और उन्होंने देवताओं की ओर से महिषासुर से निरंतर नौ दिन युद्ध किया और अंततः महिषासुर को मार डाला, जिसके कारण उन्हें 'महिषासुर-मर्दिनी' भी कहा गया।

साल में चार बार आते हैं नवरात्रि

अधिकतर लोग चैत्र और शारदीय नवरात्रि के बारे में ही जानते हैं, लेकिन वास्तव में नवरात्रि एक वर्ष में चार बार आते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ये चार नवरात्रि पौष, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन के महीने में आते हैं। इन चारों में से हर महीने की प्रतिपदा अर्थात एकम से नवमी तक का समय नवरात्रि कहा जाता है। चैत्र महीने के नवरात्रि को 'बड़े नवरात्रि' और अश्विन महीने के नवरात्रि को 'छोटे नवरात्रि' कहा जाता है। इनमें 'तुलजा भवानी' को 'बड़ी माता' और 'चामुंडा माता' को 'छोटी माता' कहा जाता है। बड़े नवरात्रि को 'बसंत नवरात्रि' और छोटे नवरात्रि को 'शारदीय नवरात्रि' के रूप में भी जाना जाता है। छोटे या शारदीय नवरात्रि को लोग उत्सव की भावना के साथ अधिक मनाते हैं, क्योंकि इसी दौरान दुर्गा पूजा और अन्य भारतीय त्यौहारों का बोलबाला अधिक रहता है।

आषाढ़ (आषाढ़ सुदी प्रतिपदा या एकम से नवमी तक) और पौष महीने (पौष सुदी प्रतिप्रदा या एकम से नवमी तक) में आने वाली नवरात्रि को 'गुप्त नवरात्रि' कहा जाता है। यह नवरात्रि तंत्र साधना के लिए उत्तम माने जाते हैं। इस दौरान कई साधक तंत्र साधना के लिए माँ काली, तारादेवी, माँ त्रिपुरसुंदरी, माँ भुवनेश्वरी, माँ छिन्नमस्ता, माँ त्रिपुर भैरवी, माँ धूमावती, माँ बगलामुखी, माँ मातंगी और माँ कमला देवी की आराधना-उपासना करते हैं। नवरात्रि 2020 ये अनुसार ऊपर हमनें बताया की प्रत्येक वर्ष में नवरात्रे 4 बार आते हैं।

नवरात्रि 2020: गुप्त नवरात्रि क्यों मनाते हैं ?

आइये नवरात्रि 2020 के माध्यम से आपको बताएं की गुप्त नवरात्रि क्यों मनाई जाती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के शयनकाल के दौरान देव शक्तियां क्षीण होने लगतीं हैं, जिनके कारण रूद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप धरती पर बढ़ने लगता है। ऐसे में सभी तरह की समस्याओं से रक्षा करने के लिए देवी दुर्गाजी की गुप्त नवरात्रि में आराधना की जाती है।आश्विन मास के शारदीय नवरात्रि को भारतीय, बसंत नवरात्रि की अपेक्षा अधिक उत्साह से मनाते हैं और इसका मुख्य कारण यह है कि शारदीय नवरात्रि के आसपास ही भारत भर में विविध प्रकार के उत्सव शुरू हो जाते हैं और पूरा भारत उत्सव के वातावरण में ढलना शुरू हो जाता है।

महाराष्ट्र में गणेशोत्सव के कुछ ही समय बाद उत्तर भारत में भी पितृ-पक्ष के बीतते ही नवरात्रि का समय शुरू हो जाता है, जिसमें इन नौ दिनों के दौरान लोग, माँसाहार, मदिरापान, प्याज-लहसुन वाला भोजन आदि खाने से परहेज़ करते हैं और देवी के इन नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा-अर्चना कर उन्हें बहुत श्रद्धापूर्वक मनाते हैं। इसी समय नवरात्रि में गुजरात में सुप्रसिद्ध 'डांडिया' और 'गरबा' बहुत उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। जिसमें देवी के सम्मान में भक्ति के प्रदर्शन के रूप में 'गरबा', 'आरती' से पहले और 'डांडिया' आरती के बाद किया जाता है। डांडिया और गरबा रात भर चलता है और देशभर में इससे जुड़े विभिन्न आयोजन भी किये जाते हैं।

नवरात्रि 2020: नवरात्रि के व्रत के दौरान भोजन

इस दौरान लोग फलाहार का सेवन करते हैं और दिन भर भक्तिपूर्वक व्रत रखने के बाद कुट्टू या सिंघाड़े के आटे और साबूदाने, दही, दूध, सूखे आलू से अपना व्रत खोलते हैं। इस समय सामान्य नमक से परहेज किया जाता है और खाने में सेंधा नमक और मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है। ये थी नवरात्रि 2020 के अनुसार व्रत में भोजन की जानकारी।

नवरात्रि 2020: नवरात्रि का मंत्र

नवरात्रि का मंत्र इस प्रकार है-

“प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघंटेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।।”

नवरात्रि 2020: नवरात्रि और कन्या पूजन

नवरात्रि 2020 के माध्यम से आपको कुछ और जानकारी देते हैं। नवरात्रि में लोग नौ दिन देवी के लिए उपवास रखकर अंतिम दिन कन्याओं को हलवा, काले चने और पूड़ी आदि का प्रसाद बनाकर और कन्याओं को प्रेमपूर्वक जिमाते हैं ,फिर उन्हें यथायोग्य दान-दक्षिणा देते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। कुछ लोग देवी महागौरी के आठवें नवरात्रि वाले दिन ही कन्याओं को जिमाते हैं, जिसे 'अष्टमी करना' कहा जाता है। कुछ लोग नवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजाकर कन्यांओं को जिमाते हैं, जिससे 'नवमी जिमाना' कहा जाता है। अष्टमी जिमायें या नवमी, ये पूरी तरह लोगों की अपनी व्यक्तिगत आस्था का विषय है।

नवरात्रि 2020: कन्या पूजन का महत्व

हालांकि हिन्दू धर्म में नवरात्रि में कन्याओं का पूजन कर उन्हें जिमाने का बहुत महत्व है। लेकिन किस कन्या का पूजन करना चाहिए, यह जानना भी बहुत महत्वपूर्ण है। दो वर्ष की कन्या को 'कुमारी' तीन वर्ष की कन्या को 'त्रिमूर्ति', चार वर्ष की कन्या को 'कल्याणी', पाँच वर्ष की कन्या को 'रोहिणी' और छः वर्ष की कन्या को 'कालिका', सात वर्ष की कन्या को 'चंडिका', आठ वर्ष की कन्या को 'शांभवी',नौ वर्ष की कन्या को 'दुर्गा' और दस वर्ष की कन्या को 'सुभद्रा' कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार दस वर्ष से अधिक आयु की कन्या का पूजन नहीं करना चाहिए।

इसके पीछे कारण यह है कि दो से दस वर्ष तक की आयु की कन्या का पूजन करने से विविध प्रकार के रोगों और समस्याओं का निदान होता है, वहीं दस वर्ष से अधिक आयु की कन्या रजस्वला संभावित होने के कारण नवरात्रि के कन्या पूजन में सम्मिलित होने के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है। नवरात्रि 2020 के इस लेख के माध्यम से हमने आपको नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का महत्व बताया।

नवरात्रि 2020: नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि 2020 लेख के इस भाग में हम नवरात्रि का महत्व बताएँगे। नवरात्रि उत्सव शक्ति की प्रतीक देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वसंत का आरंभ और शरद ऋतु का आरंभ, जलवायु और सूर्य के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। वर्ष के इन दो विशेष समय खण्डों को माँ दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र और श्रेष्ठ अवसर माना जाता है। नवरात्रि की तिथियों का निर्धारण चंद्रमा पर आधारित कैलेंडर के अनुसार किया जाता है। नवरात्रि के पर्व को देवी दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की उपासना का सबसे शुभ और पवित्र समय माना जाता है। नौ दिनों की यह देवी उपासना बहुत प्राचीन समय से चली आ रही है और अपने विलक्षण महत्व के कारण आज भी उसी भक्ति-भावना के साथ मनाई और अनुकरण की जाती है।

हिन्दू धर्म में वर्ष भर कई तीज-त्यौहार मनाये जाते हैं और हर त्यौहार अपनेआप में विलक्षण होने के साथ ही लाभप्रद भी है। वस्तुतः हमारे पूर्वजों ने मानव और लोक कल्याण की भावना को ध्यान में रखकर ही हर त्यौहार को मनाने का शुभारंभ किया। पुराने समय से चले आ रहे ये तीज-त्यौहार और व्रत आज भी अपनी उपयोगिता और नामों को यथोचित रूप से सार्थक करते आ रहे हैं।

हम उम्मीद करते हैं कि नवरात्रि 2020 से संबंधित हमारा ये लेख आपको पसंद आया होगा। आप सबके जीवन में भी त्योहारों की शुभता बनी रहे। नवरात्रि के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनायें!!

More from: Jyotish
36914

ज्योतिष लेख

मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।

Holi 2020 (होली 2020) दिनांक और शुभ मुहूर्त तुला राशिफल 2020 - Tula Rashifal 2020 | तुला राशि 2020 सिंह राशिफल 2020 - Singh Rashifal 2020 | Singh Rashi 2020