3 मार्च 2012
जेनेवा | विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक तपेदिक व एचआईवी सेवाओं में तालमेल बेहतर कर बीते छह साल में दुनियाभर में अनुमानित 910,000 जीवन बचाए गए।
डब्ल्यूएचओ की तपेदिक व एचआईवी स्वास्थ्य सेवाएं इन बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को सुरक्षित करती हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक जेनेवा में डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को कहा कि एचआईवी प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर कर देता है। यही वजह है कि जो लोग एचआईवी ग्रस्त होते हैं, उनमें तपेदिक के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए एक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति में दूसरी बीमारी का संक्रमण हो जाना असामान्य नहीं है।
जब से डब्ल्यूएचओ ने तपेदिक व एचआईवी सेवाओं में समन्वय के लिए शुरुआती मार्गदर्शन दिया है, तब से एचआईवी पीड़ितों के तपेदिक ग्रस्त होने में कमी आई है। साल 2005 में एचआईवी ग्रस्त मरीजों में से करीब 200,000 लोगों में तपेदिक का संक्रमण हुआ। इसी तरह 2010 में करीब 23 लाख एचआईवी मरीजों में तपेदिक संक्रमण हुआ। दूसरी ओर पहले एचआईवी ग्रस्त मरीजों में से तपेदिक संक्रमण की चपेट में आने वालों की संख्या 12 गुना तक ज्यादा होती थी।
साल 2005 से 2010 के बीच तपेदिक के मरीजों में एचआईवी की जांच तेजी से बढ़ी हैं। इसमें 470,000 से 22 लाख तक मतलब पांच गुना बढ़त हुई है।
बीते छह साल के अपने अनुभव को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने रोगों के इस खतरनाक संयोजन से होने वाली मौतों को कम करने के लिए समन्वित सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों में तेजी लाने के लिए शुक्रवार को एक वैश्विक नीति शुरू की।
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