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Purnima 2019: पूर्णिमा व्रत 2019 दिन व तारीखें

पूर्णिमा यानि कि पूर्ण दिन, अर्थात् जिस दिन चंद्रमा आकाश में पूरा दिखाई देता है वह पूर्णिमा का दिन होता है। जबकि जिस दिन चांद आधा दिखाई देता है वह अमावस्या होती है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा को बहुत महत्वणूर्ण दिन माना जाता है। पूर्णिमा को काफी शुभ दिन माना गया है। ये दिन व्रत रखने के बेहद लाभकारी साबित होता है। धार्मिक और ज्योतिषीय रूप से भी पूर्णिमा की तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगता है।

पूर्णिमा

पंचांग के अनुसार हर महीने में 30 दिन होते हैं जिनमें से 15 दिन शुक्ल पक्ष और 15 दिन कृष्ण पक्ष के होते हैं। शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहते हैं। जबकि कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। आज हम आपको बताएंगे कि 2019 में कब-कब पूर्णिमा पड़ रही है और इसका क्या महत्व और धार्मिक व ज्योतिष मान्यता है।

वर्ष 2019 में पड़ने वाली पूर्णिमा की सूची

दिनांक दिन पूर्णिमा
21 जनवरी, 2019 सोमवार पौष पूर्णिमा
19 फरवरी, 2019 मंगलवार माघ पूर्णिमा
20 मार्च, 2019 बुधवार फाल्गुन पूर्णिमा
19 अप्रैल, 2019 शुक्रवार चैत्र पूर्णिमा
18 मई, 2019 शनिवार वैशाख पूर्णिमा
17 जून, 2019 सोमवार ज्येष्ठ पूर्णिमा
16 जुलाई, 2019 मंगलवार आषाढ़ पूर्णिमा
15 अगस्त, 2019 गुरुवार श्रावण पूर्णिमा
13 सितंबर, 2019 शुक्रवार भाद्रपद पूर्णिमा
13 अक्टूबर, 2019 रविवार अश्विन पूर्णिमा
12 नवंबर मंगलवार कार्तिक पूर्णिमा
12 दिसंबर गुरुवार मार्गशीर्ष पूर्णिमा

पूर्णिमा तिथि का महत्व

हिंदू और स्नातन धर्म को मानने वाले लोगों में पूर्णिमा एक बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र दिन होता है। पूर्णिमा की तिथि महीने में एक बार ही आती है। महीने में पड़ने वाले वाले शुभ दिन और त्यौहार पूर्णिमा के दिन ही आते हैं। इस दिन पूर्णिमा व्रत रखने और पंडित को भोजन कराने की मान्यता है। हिन्दू धर्म के रक्षा बंधन और होली जैसे बड़े पर्व भी पूर्णिमा के दिन ही पड़ते हैं। कहते हैं कि पूर्णिमा के दिन श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा का भी खास महत्व होता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है की भगवान ने पूर्णिमा के दिन ही इस धरती पर मानव अवतार धारण किया था। चाहे बच्चों का मुंडन संस्कार हो या कोई और संस्कार हो पूर्णिमा के दिन मुहूर्त संस्कार करना बेहद शुभ माना गया है।

पूर्णिमा के दिन पड़ने वाली जयंतियाँ

पूर्णिमा तिथि जयंती
चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती
वैशाख पूर्णिमा बुद्ध जयंती
आषाढ़ पूर्णिमा कबीर जयंती
कार्तिक पूर्णिमा गुरुनानक जयंती
मार्गशीर्ष पूर्णिमा श्री दत्तात्रेय जयंती
पौष पूर्णिमा शाकंभरी जयंती

पूर्णिमा के दिन पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत एवं पर्व

पूर्णिमा तिथि व्रत एवं पर्व
ज्येष्ठ पूर्णिमा वट सावित्रि
आषाढ़ पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा
श्रावण पूर्णिमा रक्षा बंधन
भाद्रपद पूर्णिमा उमा माहेवश्वर व्रत
अश्विन पूर्णिमा शरद पूर्णिमा
कार्तिक पूर्णिमा पुष्कर मेला
फाल्गुन पूर्णिमा होली

पूर्णिमा तिथि का धार्मिक महत्व

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा वाले दिन चंद्रमा की पूजा करने की मान्यता है। कहते हैं कि इस दिन चंद्रमा में भगवान इंद्र का रूप होता है। पौराणिक कथाओं और शास्त्रों में इसे मन का देव कहा गया है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में दिखाई देता है। चुकीं भगवान इंद्र शिवजी के रूप कहलाते हैं, इसलिए ही पूर्णिमा वाले दिन भगवान शिव जी की पूजा करने को कहा जाता है। इस दिन लोग ईश्वर का ध्यान करते हैं और चंद्र देव और भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए उपवास रखते हैं। चैत्र मास में आने वाली पूर्णिमा को हनुमान जयंती का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध की जयंती मनायी जाती है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि आती है, धनवर्षा होती है और संतान भी सुखी रहती है और उनके कष्ट दूर होते हैं।

पूरनमासी का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिषों का मानना है कि पूर्णिमा बहुत शुभ दिन है। विधि विधान के साथ पूर्णिमा व्रत रखने से शारीरिक रोग के साथ मानसिक रोग भी दूर होता हैं। पूर्णिमा के दिन ग्रहों और नक्षत्र की चाल बेहद अनुकूल होती है। ऐसे में इस दिन बिना मुहूर्त के शुभ काम किया जा सकता है। वैदिक ज्योतिष में चंद्र ग्रह को मन, मस्तिष्क, माता और द्रव्य पदाथों का कारक माना गया है, इसलिए पूर्णिमा के दिन “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः!” मंत्र का जाप करने से घर में सुख शांति आती है और कष्ट दूर होते हैं। ज्योतिषों के साथ-साथ वैज्ञानिकों का भी मत है कि पूर्णिमा वाले दिन पानी में ज्वार-भाटा (लहरें) उत्पन्न होती हैं और महासागर या सागर के पानी में हलचल होती है। चुकीं मनुष्य के शरीर में भी 70 फीसदी पानी होता है। ऐसे में पूर्णिमा के दिन मनुष्य का शरीर भी प्रभावित होता है।

पूर्णिमा के प्रकार

  • हिंदू धर्म में पूर्णिमा का महत्वपूर्ण स्थान है। पूर्णिमा दो तरह की होती है।
  • आषाढ़ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं जबकि वैशाख मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
  • पूर्णिमा की पवित्रता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चाहे तीज त्यौहार हो या फिर कोई अन्य शुभ दिन हो हर उत्सव पूर्णिमा के दिन ही आता है।
  • पौराणिक शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा के दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। वेद व्यास जी महान ऋषि पराशर के पुत्र थे इन्ही ने महाभारत, ब्रह्मसूत्र और श्रीमद्भागवत गीता की रचना की थी।
  • वास्तव में पूर्णिमा तिथि धार्मिक, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक रूप से भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।
  • इस विशेषता के कारण ही हिंदू धर्म में पूर्णिमा को महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है पूर्णिमा के दिन अच्छे कर्म करने और पकवान बनाने से व्यक्ति को सीधा स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

पूर्णिमा की पूजा एवं पूर्णिमा व्रत विधि

  • पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्वच्छ जल से स्नान करें।
  • पूजा करें उसके बाद मंदिर सहित पूरे घर में गंगा जल छिड़के।
  • यदि आप पूर्णिमा व्रत रख रहे हैं तो सफेद वस्त्र धारण करें।
  • विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करें।
  • यदि आप संपन्न हैं तो किसी भिखारी या गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं।

पूर्णिमा के दिन क्या करें और क्या न करें

  • पूर्णिमा वाले दिन सफेद चीजों का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
  • पूर्णिमा वाले दिन चंद्र ग्रह अथवा चंद्र देव की आराधना करना उचित माना जाता है।
  • पूरे विधि विधान के साथ भगवान शिव और पार्वती की पूजा-अर्चना करें।
  • रात्रि में स्नान करके चंद्रमा की रौशनी में बैठें।
  • परिवार के साथ बैठकर सत्य नारायण की कथा का पाठ करें।
  • यदि आपके घर में शिशु है तो उसे किसी बाहर वाले के हाथ में ना सौपें।
  • पीपल के पेड़ से दूरी बनाएं रखें।
  • सूर्यास्त के बाद बाहर निकलने और बाहर का खाना खाने से परहेज करें।
  • यह दिन जितना शुभ है उतने ही इसकी सावधानी भी है। इस दिन बच्चे, वृद्ध,गर्भवती महिला, एवं रोगी को यथानुकूल खाना अथवा दवा लेने में कोई दोष नहीं लगता है।
  • घर पर आने वाले मेहमानों का सम्मान करें।

हम आशा करते हैं कि हमारा ये लेख आपको पसंद आया होगा. हमारी टीम की ओर से आप सभी को शुभकामनाएँ !

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