7 जनवरी 2014
कोलकाता|
बांग्ला फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री सुचित्रा सेन की हालत पहले से बेहतर है, लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि वह अब भी पूरी तरह खतरे से बाहर नहीं हैं। सुचित्रा की तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तीन जनवरी को उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
बेली व्यू क्लिनिक में भर्ती सुचित्रा की देखभाल कर रहे सात सदस्यीय चिकित्सकों की टीम के सदस्य सुबीर मंडल ने फिलहाल उन्हें अस्पताल से छुट्टी दिए जाने की बात से इंकार किया और कहा कि पिछले दिनों उनकी सांस की तकलीफ बहुत ज्यादा बढ़ गई थी।
मंडल ने आईएएनएस को बताया, "वह अभी भी खतरे से बाहर नहीं हैं। वह ठीक से सांस नहीं ले पा रही हैं। जब तक उनकी हालत पूरी तरह स्थिर नहीं हो जाती, अस्पताल से छुट्टी देने का हमारा कोई विचार नहीं है।"
सुचित्रा (82) के सीने में संक्रमण है जिसके इलाज के लिए उन्हें 23 दिसंबर को अस्पताल लाया गया था, लेकिन 28 दिसंबर को तबियत ज्यादा बिगड़ने के बाद उन्हें सीसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था।
अपने समय की बेहतरीन अभिनेत्रियों में गिनी जाने वाली सुचित्रा ने 'दी ज्वेले जाई' और 'उत्तर फाल्गुनी' जैसी बांग्ला फिल्मों और 'देवदास' 'बंबई का बाबू' और 'ममता' जैसी फिल्मों में काम किया है।
मॉस्को फिल्म फेस्टिवल 1963 में फिल्म 'सात पाके बंधा' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया था।
सुचित्रा सेन अभिनेत्री मुनमुन सेन की मां और बॉलीवुड अभिनेत्री द्वय रिया और राइमा सेन की नानी हैं।