Jyotish RSS Feed
Subscribe Magazine on email:    

शयनकक्ष से जुड़ी सावधानियां बचा सकती हैं संबंध

शयनकक्ष में वास्‍तु नियम
 
व्यक्ति जब अपनी यौन अवस्था में पहुंचता है तो परिवार के बड़े बुजुर्गों को उसके विवाह की चिन्ताएं सतानी प्रारम्भ कर देती हैं। विवाह के पश्चात पति-पत्नी के मध्य बहुत ही आत्म प्रेम सम्बन्ध बन जाते हैं। लेकिन किसी किसी के मध्य कुछ माह अथवा कुछ वर्षों के पश्चात ही मन मुटाव की वह सीमाऐं पहुंच जाती हैं कि दोनों में से कोई एक दूसरे को देखना तक पसन्द नहीं करता। कई बार स्थिति इतनी विकट हो जाती हैं कि तलाक ही हल लगता है।

यद्यपि पति-पत्नी के मध्य बिगड़ते संबंधों की कई वजह होती हैं,लेकिन वास्तुदोष भी इसकी एक वजह हो सकती है। पति-पत्नी के सम्बन्धों का ज्ञान बैडरूम की साज सज्जा को देखकर कोई भी वास्तु शास्त्री आसानी से लगा सकता है। वास्तु दोषों के साथ-साथ नौग्रहों के कारण भी पति-पत्नी के सम्बन्धों में परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं।

बैडरूम के रंग और दिशाऐं पति-पत्नी के सम्बन्धों और  भोग-विलास को समाप्त करने के साथ-साथ परिवारिक सुख-शान्ति को समाप्त कर सकते हैं। मनुष्य यदि भोग विलास के लिए घर से बाहर तलाश करता है तो भी शुक्र ग्रह अपने प्रभाव का असर कम देता है। आज प्रायः देखने में आ रहा है कि व्यक्ति अपने स्वार्थों कि पूर्ति के लिए घर से बाहर शय्या सुख प्राप्त करने का प्रयास करता है।
शयन कक्ष का स्वामी शुक्र ग्रह है। शुक्र स्त्री ग्रह है। जल का स्वामी रजोगुणी शुभ ग्रह माना गया है। शुक्र को दानवों का पुरोहित कहा गया है। शुक्र देव ने अपने तपोबल के दम पर ही भगवान शिव से मृत संजीवनी विद्या को प्राप्त किया था। शुक्र देव सौन्दर्य प्रिय है तथा जिनका शुक्र उच्च व शुभ स्थान पर हो उन्हें सुन्दर शरीर की प्राप्ति होती है। प्राय: देखने में आता है कि ड्राइंग रूप तो स्वच्छ सुन्दर होता है, परन्तु बैडरूम (शयनकक्ष) में समस्त कार्य अव्यवस्था का रूप लिए हुए हैं। शयनकक्ष भवन के अग्नेय में नहीं होना चाहिए। महिलाओं को अपने वस्त्र व श्रृगांर का सामान शयनकक्ष में या बराबर वाले कक्ष में रखने चाहिए।

शयनकक्ष में कभी भी देवी देवताओं के चित्रों को नहीं लगाना चाहिए। यदि मूर्तियां रखनी चाहते हैं तो श्रृंगार रस का पूर्णरूप लिए मूर्तियों को ही रखें। शयनकक्ष में पूजाघर कभी नहीं बनाना चाहिए और तराजू-तिजोरी भी नहीं रखनी चाहिए।
शयनकक्ष में वायव्य दिशा में दर्पण रखना चाहिए क्योंकि चन्द्रमा का वास वायव्य दिशा में होता है आइना (दपर्ण) यदि हम नैऋृत्य कोण में रखा जायेगा तो वह दिशा राहू की है और राहू और चन्द्रा के मिलन से ग्रहण योग बनता है जो प्रत्येक प्राणी के लिए शुभ संकेत कभी नहीं देता।

शयनकक्ष में आइने को नैऋत्य दिशा में कभी नहीं रखना चाहिए इससे राहु का प्रकोप स्त्री पुरूष के उपर पडता है तथा चन्द्रमा को पिडा पहुंचाती हैं मन सदैव चिन्ताओं में घिरा रहता है और मूत्र, श्वास व कफ रोगों की उत्पत्ति होने के साथ-साथ घर में कलह का वातावरण बना रहता है।

शयनकक्ष मे सदैव शुक्र के रंगों से सजा सवंरा रहना चाहिए दीवारों का रंग सफेद, जामुनी नीला या गुलाबी होना चाहिए सफेद रंग से कोई विकृति उत्पन्न नहीं होती।  लाल रंग मंगल का रंग है। मंगल सदैव शुक्र के कार्यो में बाधा पहुंचाने के साथ-साथ भावनाओं को उभारने में सहायक होता है कभी-कभी सीमाएं भी पार करा देता है।

राहु अनैतिक सम्बन्धों एवं भौतिक वादी विचार धाराओं के निर्माण कर्ता माना गया है। इसलिए काले रंग को कभी भी बैडरूम (शयनकक्ष) में नहीं कराना चाहिए। काले रंग की वस्तुऐं भी नहीं रखनी चाहिए, मधुमेह जैसी बीमारियों का जन्म इस कारण होता है।

पीला रंग बृहस्पति का होता है और शुक्र कामदेव तथा भौतिक वादी विचार धाराओं का ग्रह है। पीले रंग के द्वारा शयन कक्ष में दो वर्गों के गुरूओं का द्ववन्द है। देवताओं के गुरू वृहस्पति और राक्षसों के गुरू शुक्र देव है, इन दोनों के कारण परिवारिक सुख में बाधाएं उत्पन्न होती हैं।

शनि की दिशा पश्चिम मानी गई है। भवन के पश्चिम में बैडरूम बनवाया जाये तो शुक्र-शनि से पीड़ित रहता है।  शनि कुटिल होता है और ऐसे स्थानों (भवनों) में अवैधानिक कार्य ज्यादा होते हैं।

पूरब दिशा सूर्य की मानी गई है, जहां बैडरूम(शयनकक्ष) बनाने से सूर्य-शुक्र युति होती है और कभी-कभी जब भवन स्वामी की कुन्डली में शुक्र कमजोर अशों का होता है तो शुक्र अस्त हो जाता है। जिस कारण पत्नी बीमार रहे और आपसी विचार धाराओं में विरोधाभास रहे।

शयनकक्ष के सामने कोई बडा वृक्ष या बडी बिल्डिंग आ जाने के कारण भी कभी-कभी संतुलन बिगड़ जाता है। शयनकक्ष में अधिकांशतः टी.वी. रखे मिलते हैं, जिस कारण प्रत्येक क्षेत्र के विचार हत्या बलात्कार जैसे समाचारों का प्रसारण की तंरगें उस कक्ष में दौड़ती हैं। जिन व्यक्तियों का चन्द्रमा कुन्डली में कमजोर होता है या राहू से पीड़ित है, उनको निद्रा आने के पश्चात दुख देने वाले सपने आएंगे तथा विचारों में अस्थिरता बनी रहेगी तथा स्थिरता के लिए मन बेचैन रहेगा।

यदि उपरोक्त नियमों का पालन किया जाये तो मनुष्य ग्रहों के आपसी झगड़ों से बच सकता है। अन्यथा समय-समय पर जिस भी ग्रह कि स्थिति गोचर में या कुन्डली में कमजोर होगी तो वह अपने रंग दिखायेगा और जब मजबूत होगी तो वह अपने रंग और अधिक दिखायेगा। 

More from: Jyotish
7964

ज्योतिष लेख

मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।

Holi 2020 (होली 2020) दिनांक और शुभ मुहूर्त तुला राशिफल 2020 - Tula Rashifal 2020 | तुला राशि 2020 सिंह राशिफल 2020 - Singh Rashifal 2020 | Singh Rashi 2020