येदियुरप्पा सरकार को बर्खास्त करने की राज्यपाल की सिफारिश खारिज किए जाने के अगले दिन चिदम्बरम ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, "कर्नाटक के राज्यपाल एच.आर. भारद्वाज को वापस बुलाने का 'कोई सवाल' ही नहीं उठता।"
येदियुरप्पा ने हालांकि भारद्वाज को वापस बुलाने या तुरंत इस्तीफे की भाजपा की मांग दोहराई।
भाजपा की मांग और राज्यपाल की सिफारिश पर केंद्र सरकार की झिड़की के बारे में पूछे जाने पर चिदम्बरम ने कहा, "भारद्वाज को वापस बुलाने का सवाल ही नहीं उठता है। राज्यपाल ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया और हमने अपना फैसला लिया।"
उन्होंने हालांकि कहा कि केंद्र सरकार को कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाने का कोई आधार नहीं मिला। सरकार वैधानिक उलझनों को लेकर संविधान के अनुच्छेद 356 लगाने के प्रति सचेत है।
चिदम्बरम ने संवाददताओं से कहा, "हम वैधानिक स्थिति को लेकर सचेत हैं। राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार बहुत ही सीमित अधिकार है। हमें लगता है कि राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटी के समक्ष जो तथ्य रखे गए वे इस लायक नहीं थे कि हम संविधान के अनुच्छेद 356 लगाने के निष्कर्ष पर पहुंच पाते।"
गौरतलब है कि कैबिनेट कमेटी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की भारद्वाज की सिफारिश रविवार को खारिज कर दी थी।
चिदम्बरम ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य सरकार को बर्खास्त करने के लिए अनुच्छेद 356 लगाने के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई व्यवस्था को लेकर भी 'सचेत' थी। उन्होंने एस.आर. बोम्मई के मामले का हवाला दिया जिसमें राज्य सरकार को बर्खास्त करने पर केंद्र सरकार को सख्त कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था और अपना बचाव करना पड़ा था।
केंद्र सरकार हालांकि राज्यपाल की सिफारिश पर विचार करते हुए येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार को परामर्श जारी करेगी।
चिदम्बरम ने कहा कि मुद्दे पर ध्यान आकृष्ट करने के लिए राज्य सरकारों को ऐसे परामर्श समय-समय पर जारी किए जाते हैं। इससे पहले कर्नाटक में अल्पसंख्यकों पर हमले को लेकर तथा हाल ही में पश्चिम बंगाल में सशस्त्र राजनीतिक शिविरों के विरुद्ध परामर्श जारी किए गए थे।
यह पूछने पर कि येदियुरप्पा सरकार को जारी किए जाने वाले परामर्श में क्या कहा जाएगा, चिदम्बरम ने कहा कि राज्य सरकार को संदेश दिया जाएगा कि वह 'भ्रष्टाचार में लिप्त न रहे।'
ज्ञात हो कि भारद्वाज ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के मद्देनजर कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाने सम्बंधी सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष अक्टूबर में विधानसभा में विश्वास मत हासिल किए जाने से पूर्व भाजपा के 11 बागी विधायकों और पांच निर्दलीयों को अयोग्य करार दिए जाने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया था।
भाजपा ने इस महीने की शुरुआत में राज्य विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के समक्ष अपने 114 विधायकोंकी परेड कराई थी। पार्टी ने कुछ और विधायकों के समर्थन सम्बंधी पत्र भी पेश किए थे।
राज्य की 225 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास बागी से वफादार बने 11 विधायकों सहित 120 सदस्य हैं।
चिदम्बरम ने कहा कि भारद्वाज को उनके पद से हटाने का सवाल ही नहीं उठता है।
उधर, मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने सोमवार को मांग की है कि अपनी रिपोर्ट खारिज किए जाने के बाद राज्यपाल को तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। येदियुरप्पा ने नई दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी व अरुण जेटली से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, "राज्यपाल को इज्जत के साथ इस्तीफा दे देना चाहिए।"
नई दिल्ली से बेंगलुरू अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा पहुंचने पर दर्जनों पार्टी कार्यकर्ताओं ने गाजे-बाजे और नारों के साथ येदियुरप्पा को बधाई दी। उन्हें बधाई देने के लिए कई मंत्री भी वहां मौजूद थे।
संवाददाताओं से बातचीत में येदियुरप्पा ने भारद्वाज की सिफारिश को खारिज करने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया।
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