Hanumaan Mishra
हिन्दू कैलेंडर के ग्यारहवें महीने को माघ कहा जाता है। यह वह समय होता है जब शीतकाल अपने यौवन पर होता है। चारों ओर कडाके की ठंड पड रही होती है। ऐसे मौसम मे ही शाक, फल और वनस्पतियां अमृत तत्व को अपने में सर्वाधिक आकर्षित करती हैं। जब वनस्पतियां ऐसे मौसम का लाभ ले सकती हैं तो मानव इस काम भला पीछे क्यों रहे। ये महीना शरीर को कैलशियम , विटामिन डी और आयरन से पोषित करने का महीना है । इस महीने में सभी त्यौहार तिल , गुड़ से मनाए जाते हैं । उड़द की दाल की खिचड़ी खायी जाती है और पवित्र नदियो में स्नान किया जाता है। माघ स्नान केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। शरीर को मौसम के अनुकूल बनाने में माघ स्नान बहुत अत्यधिक सहायक होता है। माघ के महीने में ठंड अपने चर्मोत्कर्ष पर जाती है और धीरे-धीरे कम होने लगती है और वातावरण में गर्मी का आगमन होने लगता है। ऎसे में ऋतु के परिवर्तन का असर स्वास्थ्य कोई प्रतिकूल प्रभाव न डाले इसलिए नित्य प्रात:काल में स्नान करने से देह को मजबूति प्राप्त होती है और हमारा शरीर आने वाले मौसम के अनुकूल हो जाता है। इस प्रकार इस मौसम में हमें इस बात का बोध होता है कि प्राणि अपने भावों और विचारों को शुद्ध और सात्विक रखे तथा कर्म के प्रति निष्ठावान बना रहे क्योंकि इसी प्रकार के आचरण से ही वह प्रतिकूलताओं से बचा रह सकता है।
hanuman mishra
रीवा/डभौरा। जब कोई ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण या गमन करता है तो तो उसे संक्रांति कहते हैं। ग्रहों का राजा सूर्य छह मास तक क्रांतिवृत्त से उत्तर की ओर उदय होता है और छह मास तक दक्षिण की ओर निकलता रहता है। प्रत्येक छह मास की अवधि का नाम अयनकाल है। सूर्य के उत्तर की ओर उदय की अवधि को उत्तरायण और दक्षिण की ओर उदय की अवधि को दक्षिणायन कहते हैं।
vishwa and nigam
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